डीएनए हिंदीः गणपतिजी हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय माना गया है, यानी इनकी पूजा के बाद ही किसी अन्य देवता की पूजा होती है और किसी कार्य को शुरू करने से पहले भी इन्हीं का आशीर्वाद लेना जरूरी होता है.
गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं और सच्चे मन से उनकी पूजा करने से शुभ-लाभ की प्राप्ति तथा समृद्धि के साथ धन-धान्य की वृद्धि होती है और दापत्य जीवन सुखमय होता है. तो आगर आप किसी भी दुख-दर्द से जूझ रहे तो 8 मई को ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत जरूर रखें और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए विधिवत पूजा करें.
चतुर्थी तिथि शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 8 मई 2023 की शाम 6 बजकर 18 मिनट से होगी और 9 मई शाम में 4 बजकर 7 मिनट तक चतुर्थी तिथि रहेगी. ऐसे में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा. इस दिन शाम के समय यानी चंद्रमा निकलने के बाद पूजा की जाती है. ऐसे में चतुर्थी तिथि 8 मई को शाम तक रहेगी इसलिए इस दिन संकष्टी चतुर्थी व्रत रखना उत्तम रहेगा.
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गणेशजी के व्रत का संकल्प लें.
- फिर शाम के समय पूजा स्थान की साफ सफाई करें और गंगाजल से स्थान को पवित्र कर लें.
- इसके बाद भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं. और मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें.
- इसके बाद गणेश जी का तिलक करें और पुष्प अर्पित करें.
- इसके बाद भगवान गणेश के हाथ पर 21 दूर्वा अर्पित करें.
- भोग में गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू या मोदक अर्पित करें.
पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें. अंत में भूल चूक के लिए माफी जरुर मांग लें.
गणपतिजी पूजा में क्या न करें
भगवान गणेश जी को सफेद रंग की चीजें चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योंकि सफेद चीजें चंद्रमा से संबंधित है. चंद्रदेव ने एक बार भगवान गणेश के रूप का उपहास किया था, जिसके बाद गणेश जी से चंद्रमा को शाप दे दिया था. इसलिए गणपति जी को सफेद रंग के फूल, वस्त्र, सफेद जनेऊ, सफेद चंदन आदि नहीं चढ़ाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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