डीएनए हिंदीः सोमवार 24 अक्टूबर को दिवाली मनाई जा रही है और इस दिन अगर आप भगवान गणपति और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा अपने मंदिर में स्थापित करने जा रहे हैं तो कुछ खास बातों पर विशेष ध्यान देना होगा.
गलत तरीके से अगर देवी लक्ष्मी और गणपति जी को अगर स्थापित कर दिया जाए तो कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. धन ही नहीं, मान-सम्मान और शरीर का भी नुकसान होता है. ज्योतिष शास्त्र देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति सही तरीके और सही दिशा में स्थापति करने का क्या निर्देश है, चलिए जानें.
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इस विधि से करें नए लक्ष्मी-गणेश की मंदिर में स्थापना
अगर आप हर साल नए गणपति जी और लक्ष्मी जी की स्थापना करते हैं तो याद रखें पूजा के ठीक पहले नए लक्ष्मी-गणेश को मंदिर में स्थापति करें. नए लक्ष्मी-गणेश की स्थापना के साथ उनकी विधिवत पूजा करें. लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा के लिए एक चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि लक्ष्मी के दायीं दिशा में गणेश रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे. उनके सामने बैठकर चावलों पर कलश की स्थापना करें.
वरुण के प्रतीक इस कलश पर एक नारियल लाल वस्त्र में लपेटकर इस प्रकार रखें कि केवल अग्रभाग ही दिखाई दे. दो बड़े दीपक लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें. एक को मूर्तियों के चरणों में और दूसरे को चौकी की दाई तरफ रखें.
चौकी पर रखें गणेशजी के सामने एक छोटा सा दीपक रखें. इसके बाद शुभ मुहूर्त के समय जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूपबत्ती, गुड़, फूल, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें. फिर सारे दीपकों को जलाकर उन्हें नमस्कार करें. उनपर चावल छोड़ दें. पहले पुरुष और बाद में स्त्रियां गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत् षोडशोपचार पूजन,श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष श्रीसूक्त का पाठ करें और आरती उतारें.
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वहीं, अगर आप व्यापार करते हैं तो बही खातों की पूजा करने के बाद नए लिखने की शुरुआत करें. तेल के अनेक दीपक जलाकर घर के हर कमरे में, तिजोरी के पास, आंगन और गैलरी आदि जगह पर रखें. ताकि किसी जगह पर अंधेरा न रह जाए. खांड की मिठाइयां, पकवान और खीर आदि का भोग लगाकर सबको प्रसाद बांटे.
न करें ये गलती
जिस तरह आप नए लक्ष्मी-गणेश की मंदिर में स्थापना करते हैं पुराने लक्ष्मी-गणेश को मंदिर से हटा, बल्कि पुराने लक्ष्मी-गणेश को मंदिर में ही साइड में उनकी भी पूजा करें. नए ही नहीं पुराने लक्ष्मी-गणेश को भी दिवाली की रात रोली तिलक कर पुष्प, मिष्ठान, खील-बताशे आदि का भोग जरूर लगाएं. ध्यान रहे कि भूलकर भी पुराने लक्ष्मी-गणेश को किसी गंदे स्थान या गंदे पानी में न प्रवाहित करें और न ही घर में रखें. पूजा के बाद पुराने गणपति और लक्ष्मी जी को तुलसी या पीपल के पेड़ के नीचे रात भर के रख दें और अगले दिन उनका विसर्जन जरूर करें.
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दिशा का रखें ध्यान
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते समय दिशा का बहुत ध्यान रखें. बता दें कि माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय इसका ध्यान रखें कि माता लक्ष्मी भगवान गणेश के दाईं ओर हो. भूलकर भी उनकी मूर्ति गणेशजी के बाईं ओर नहीं रखनी चाहिए.
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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दिवाली पर नए गणपति-लक्ष्मी की स्थापना और पुराने के विसर्जन का जानें पूरा तरीका