डीएनए हिंदीः (5 Kosi Parikrama Will Start In Ayodhya From November 4 Know The Importance) भगवान राम की जन्मभूमि और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक अयोध्या में देवउठनी एकादशी के दिन पंचकोसी परिक्रमा की जाती है. अयोध्या की प्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा की शुरुआत 1 नवंबर से हो चुकी है. इसके बाद देवउठनी एकादशी यानी 4 नवंबर को पंचकोसी परिक्रमा का आयोजन किया जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या की 14 कोसी और पंचकोसी परिक्रमा को करने से मनुष्य के सारे पाप मिट जाते हैं व सुख-शांति की प्राप्ति होती है. कहा जाता है परिक्रमा के पग-पग पर पाप नष्ट होता है. यही कारण है इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा करने आते हैं. आंकड़ों की माने थे पिछले साल करीब 15 लाख श्रद्धालु परिक्रमा करने पहुंचे थे. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी 15 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु अयोध्या पहुंचेंगे.
कार्तिक मास में होती है 84, 14 और 5 कोस की परिक्रमा (Ayodhya 84, 14 and Panchkosi Parikrama 2022)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में कार्तिक मास में आयोजित होने वाली परिक्रमा का विशेष महत्व है. यहां 84, 14 और 5 कोस की भी परिक्रमा लगती है. 84 कोस परिक्रमा में ज्यादातर साधु-संत हिस्सा लेते हैं वहीं 14 कोसी व 5 कोस की परिक्रमा में आम लोग हिस्सा लेते हैं. पंचकोसी और 14 कोस की परिक्रमा अयोध्या क्षेत्र में लगती है, और 84 कोस की परिक्रमा में पूरे अवध क्षेत्र की परिक्रमा होती है. अयोध्या में परिक्रमा करने के बाद कार्तिक मास में कार्तिक स्नान किया जाता है जिसका सनातम धर्म में विशेष महत्व है. अगर आप 14 कोस की परिक्रमा करने में असमर्थ हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन पंचकोसी परिक्रमा कर सकते हैं.
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धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
अयोध्या में परिक्रमा की परंपरा आज से नहीं बल्कि सदियों से चल रही है. मथुरा, वृंदावन और ब्रज कोस की परिक्रमा की तरह अयोध्या में भी परिक्रमा लगती है, मान्यता है कि ऐसा करने से पंचतत्वों से निर्मित इस शरीर की शुद्धि होती है. देवउठनी एकादशी के दिन अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा करने से ना केवल इस जन्म के बल्कि सभी जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. परिक्रमा देने के बाद पवित्र सरयू नदी में स्नान किया जाता है और श्रीराम के जयघोष के साथ परिक्रमा पूरा किया जाता है.
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वैज्ञानिकों के अनुसार, देशभर में जितने भी तीर्थ स्थल हैं, वहां पर एक विशेष ऊर्जा महसूस होती है. यह ऊर्जा मंत्रों और पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों से निर्मित होती है. ऐसे में जब यह ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है तो मन में शांति आती है और आत्मबल मजबूत होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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देवउठनी एकादशी के दिन अयोध्या में होती है पंचकोसी परिक्रमा, यहां पढ़ें क्या है इसका महत्व