डीएनए हिंदीः  इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज यानी मंगलवार को लग रहा है. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लगने का नियम है. सूतक काल लगने के साथ कुछ नियमों का पालन जरूरी होता होता है. गर्भवती महिलाओं को भी इस दिन खास सतर्कता बरती चाहिए. 

चंद्र ग्रहण को लेकर लोगों के दिमाग में कई सवाल हैं. जैसे चंद्र ग्रहण के समय खाना चाहिए की नहीं, गर्भवती महिला को देखना चाहिए की नहीं आदि. ऐसे में हम यहां पर कुछ ऐसे सवाल के जवाब लेकर आए हैं जिसके बारे में आप लोगों को जानना बहुत जरूरी है. इस लेख में हम आपको बताएंगे की क्या चीज ग्रहण के दिन करनी चाहिए क्या नहीं.

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चंद्र ग्रहण सूतक ( Chandra Grahan Sutak Time)

चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लगने का नियम है. साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को शाम 05 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगा और शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले इसका सूतक काल लग जाएगा.

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ज्योतिष की नजर से देखें तो ये चंद्र ग्रहण मेष राशि में होगा. मतलब जिस वक्त ग्रहण है उस वक्त चांद मेष राशि में प्रवेश करेगा.
भारत में चंद्र ग्रहण की शुरुआत 8 नवंबर को दोपहर 2:40 बजे से होगी. इस दौरान से ये आंशिक होगा और पूर्ण चंद्र ग्रहण दोपहर 3:47 बजे से शुरू होगा. लेकिन, भारत में इसे शाम 5 बजकर 20 मिनट पर देखा जा सकेगा. चंद्र ग्रहण के खत्म होने का समय शाम 6 बजकर 18 मिनट रहेगा. मतलब एक घंटे के लिए सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी होगी. इस दौरान आपको चांद के आगे से गुजरती पृथ्वी दिखाई देगी. हालांकि, इसकी विजिबिलिटी इतनी नहीं होती कि इसे खुली आंखों से देखा जाए.

सूतक से पहले खाने-पीने की चीज में डाल दें तुलसी के पत्ते 

चंद्र ग्रहण से करीब 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है. सूतक की शुरुआत से लेकर ग्रहण के अंत तक का समय शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए इस दौरान पूजा आदि करना और कुछ भी खाना-पीना मना है. सूतक लगाते ही मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं. इसके अलावा सूतक शुरू होने से पहले ही खाने-पीने में तुलसी के पत्ते डाल दिए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस चीज में तुलसी का पत्ता गिरता है. वो चीज अशुद्ध नहीं होती. ग्रहण काल ​​समाप्त होने के बाद इसको फिर से उपयोग किया जा सकता है.

इसलिए खाने-पीने की चीजों में डालते हैं तुलसी का पत्ता 

वैज्ञानिक रूप से माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में मौजूद किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. ऐसे समय में अगर खाने-पीने का सामान खुला रखा जाए, या इस दौरान कुछ खाया-पिया जाए तो इन किरणों का नकारात्मक प्रभाव उस चीज तक पहुंच जाता है. इसका नकारात्मक असर हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. तुलसी के पत्तों में पारा मौजूद होता है. पारा में किसी प्रकार की किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मान्यता है कि ग्रहण के समय आकाश और ब्रह्मांड से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के पास आते ही निष्क्रिय हो जाती है. इससे तुलसी के पत्ते जो भी चीजें डालते हैं, वे चीजें वातावरण में मौजूद किरणों के नकारात्मक प्रभाव से बच जाती हैं. इसलिए उन चीजों को शुद्ध माना जाता है.

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इन नियमों का करें पालन

गर्भवती महिलाएं सूतक में कुछ भी काटने का काम न करें और अपने गर्भ पर गाय के गोबर का टिका लगा लें. इस दिन इन्हें गर्भ को सुरक्षित रखने के लिए ध्यान रखना चाहिए. अगर खुद के बराबर का कुश मिल जाए तो उसे अपनी लंबाई से नाप कर एक कोने में खड़ा कर दें. ग्रहण के बाद कुश को किसी पेड़ के नीचे रख दें. इससे गर्भ की रक्षा होगी. 

सूतक काल में भोजन नहीं बनाया जाता और न ही खाया जाता है. इसे दूषित काल माना जाता है. हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं.

जो भोजन पहले से बना रखा है, उनमें सूतक काल शुरू होने से पहले ही तुलसी का पत्‍ता तोड़कर डाल दें. दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्‍ता डालें. तुलसी के पत्ते के कारण दूषित वातावरण का का असर खाने की चीजों पर नहीं होता.

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सूतक लगने के साथ गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से खुद का खयाल रखें. सूतक काल से लेकर ग्रहण पूरा होने तक घर से न निकलें. अपने पेट के हिस्‍से पर गेरू लगाएं.

सूतक काल से ग्रहण काल समाप्‍त होने तक गर्भवती स्त्रियां चाकू, कैंची आदि किसी भी नुकीली चीज का इस्‍तेमाल न करें. न ही सिलाई-कढ़ाई करें. 

ग्रहण को खुली आंखों से ग्रहण न देखें, यदि देखना ही है तो एक्सरे की मदद ले सकते हैं. इसके अलावा घर के मंदिर में भी पूजा पाठ न करें. मानसिक जाप कर सकते हैं. मानसिक जाप काफी फलदायी माना जाता है.

सूतक के दौरान प्रभु का नाम लें और भजन करें. सूतक लगने से पहले और सूतक खत्म होने के बाद स्नान जरूर करें. 

सूतक खत्म होने के बाद स्नान कर अन्न और वस्त्र का दान उत्तम माना गया है.

ध्यान रहें की सूतक के दौरान मंदिर में भगवान को पर्दा डालकर रखें और उन्हें स्पर्श न करें. 

नोटः ग्रहणकाल में बच्चे, बीमार और वृद्ध लोगों के लिए नियम में विशेष छूट रहती है. 

नहीं देख पाएंगे आंशिक और पूर्ण चंद्र ग्रहण की शुरुआत? (Beginning of partial and Full lunar eclipse?)
चंद्र ग्रहण की शुरुआत चंद्रोदय के साथ ही हो जाएगी. लेकिन, इस घटना को लोग एक निर्धारित वक्त पर ही देख पाएंगे. आंशिक और पूर्ण ग्रहण का प्रारंभिक चरण दिखाई नहीं देगा. दरअसल, प्रारंभिक चरणों में चंद्रमा भारत में हर जगह क्षितिज (Horizon) (वह स्थान जहां पृथ्वी और आकाश मिलते दिखाई देते हैं) से नीचे होता है. इसलिए इस वक्त ग्रहण को देखना संभव नहीं है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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कल चंद्र ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं, जानिए सूतक का समय और नियम
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आज चंद्र ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं, जानिए सूतक का समय और नियम