डीएनए हिंदी: Dev Deepwali Kab hai, Puja Vidhi, Significance- दिवाली की तरह ही देव दीपावली का महत्व है, इस त्योहार को भी दीपों का त्योहार कहते हैं. यूपी के काशी में बहुत ही धूमधाम से ये दिवाली मनाई जाती है. हर साल देव दिवाली का पर्व दीपावली के 15 दिनों के बाद ही मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है लेकिन इस साल इस दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) भी पड़ रहा है. ऐसे में देव दिवाली की तिथि को लेकर थोड़ा सा कंफ्यूजन है कि आखिर किस दिन देव दिवाली का पर्व मनाना शुभ होगा
इस साल 7 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दिवाली मनाते हैं. काशी में गंगा नदी के तट पर दीपों का ये उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान वहां की धूम देखने लायक होती है, बहुत सजावट होती है, गंगा घाट पर हर ओर मिट्टी के दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं. ये दृश्य बहुत ही भव्य होता है. इस साल लाखों में दीपक जलाने की बात है.
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पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Shubh Muhurat)
कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 31 मिनट तक
प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 49 मिनट तक
अवधि - 02 घंटे 35 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:43 से दोपहर 12:26 मिनट तक
साल 2022 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 8 नवंबर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से शाम 7 बजकर 27 बजे तक लगेगा
देव दीवाली पर क्या करें?
इस त्योहार पर भक्त गंगा तट पर स्नान करके दीपदान करते हैं, इस दिन गंगा में स्नान को पवित्र माना जाताहै. देवी गंगा को श्रद्धा के प्रतीक के रूप में तेल के दीपक अर्पित किए जाते हैं. गंगा आरती की जाती है.
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देव दीवाली कैसे मनाई जाती है? (How to Celebrate Dev Deepawali)
वाराणसी में देव दीपावली को बहुत ही धूमधाम और भव्यता के लिए जाना जाता है, इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए हजारों भक्त पवित्र शहर का भ्रमण करते हैं. यह त्योहार वाराणसी में और गुजरात के कुछ हिस्सों में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लोग इस दिन अपने घरों को रंगोली और हर कोने में हल्के तेल के दीयों से सजाते हैं, कुछ घरों में भोग के वितरण के बाद अखंड रामायण का पाठ भी किया जाता है.
देव दीपावली 2022 महत्व (Significance in Hindi)
मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसी कारण इस दिन को खुशियों के रूप में मनाया जाता है. इस राक्षस के वध होने से देवी-देवताओं से खुशियां मनाई थी और काशी की तट पर दीपक जलाए थे, इसी कारण हर साल इस दिन दीपदान और स्नान करना का शुभ माना जाता है
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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कब है देव दीपावली? जानिए पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व