डीएनए हिंदी : Gujarat Dandiya and Garba Significance- नवरात्रि (Navratri 2022) शुरू होने वाली है और इसे लेकर पूरे देश में तैयारियां शुरू हो गई हैं. बंगाल में दुर्गा पूजा,(Durga Puja) उत्तर भारत में नवरात्रि और गुजरात में डांडिया महोत्सव की तैयारियां जोरों पर है. हर जगह अलग अलग तरह से मां दुर्गा के इस त्योहार को मनाया जाता है. गुजरात में डांडिया और गरबा खेलकर लोग मां के नौ दिनों में आनंद करते हैं. कहीं मां के लिए उपवास रखा जाता है. हर कोई अपने तरीके से मां को श्रद्धा अर्पित करते हैं. गुजरात का डांडिया और गरबा विश्व प्रसिद्ध है. इस साल 26 सितंबर से पहला नवरात्र शुरू हो रहे हैं. आईए जानते हैं इसका धार्मिक महत्व (Spiritual Significance) क्या है. गुजरात के अलावा भी कई शहरों में यह खेला जाता है.
गरबा और डांडिया का धार्मिक महत्व (Garba And Dandiya Spiritual significance)
गरबा और डांडिया दोनों ही तरह के नृत्य मां दुर्गा से जुड़े हुए हैं. गरबा नृत्य मां दुर्गा की प्रतिमा या उनके लिए जलाई गई ज्योत के आसपास किया जाता है.ये नृत्य मां के गर्भ में जीवन का प्रदर्शन करने वाली लौ का प्रतीक है.साथ ही गरबा नृत्य के दौरान बना गोला जीवन चक्र को दर्शाता है.वहीं डांडिया नृत्य के जरिए मां दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध को दर्शाया जाता है. नृत्य में डांडिया की रंगीन छड़ी को मां दुर्गा की तलवार के तौर पर भी देखा जाता है.इसलिए इसको तलवार नृत्य या डांस ऑफ स्वॉर्ड भी कहा जाता है.
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नवरात्रि के नौ दिन ही डांडिया करते हैं. नौ दिन मतलब मां के नौ दिन की उपासना को कहते हैं. नौ दिन की ज्योत जगती है और नौ दिन का उपवास होता है. हर साल गरबा सर्कल का केंद्र बिंदु त्योहार की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए प्रत्येक समुदाय की ओर से बनाया गया छोटा देवी मंदिर होता है.मंदिर में एक गार्बो,एक मिट्टी का बर्तन होता है,जिसमें एक सुपारी, नारियल और चांदी का सिक्का रखा जाता है.
हर रात लोग देवी के नौ रूपों में से एक की पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं.नौ रातों को भी तीन भागों में बांटा गया है.पहला भाग देवी दुर्गा के लिए है.वह देवी जिसने महिषासुर राक्षस का अंत किया. दूसरा भाग है समृद्धि की देवी लक्ष्मी के लिए और तीसरा ज्ञान और कला की देवी सरस्वती के लिए हैं.पूजा के बाद संगीत शुरू होता है. गुजरात में हर घर और गली में मां दुर्गा के आगे डांडिया किया जाता है, दीप जलाकर मां को प्रसन्न करने का प्रयास होता है.
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क्या है दोनों में फर्क (Difference between Dandiya and Garba)
दोनों नृत्य को लोग एक ही समझते हैं लेकिन दोनों में फर्क है. गरबा लोग अपने हाथों को जोड़कर गोला बनाकर खेलते हैं.इसमें किसी चीज की जरूरत नहीं है वहीं, डांडिया वृंदावन की रीत है, हाथों में डंडे जैसी चीजें लेकर उसे एक दूसरे से टकराकर खेलते हैं. पूजन के बाद ही दोनों खेला जाता है.
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Navratri in Gujarat: डांडिया और गरबा के बगैर अधूरी है नवरात्रि, क्या है दोनों का धार्मिक महत्व