डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म मे वैदिक ज्योतिष में व्यक्ति का जन्म होते ही उसकी कुंडली में ग्रहों का फेर शुरू हो जाता है. इस दौरान व्यक्ति के लिए कोई ग्रह सकारात्मक तो कोई नकारात्मक स्थिति में होता है. इन ग्रहों की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर जीवन भर पड़ता है. इससे व्यक्ति का करियर से लेकर कारोबार और वैवाहिक जीवन भी प्रभावित होता है. इस पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में ग्रहों को शांत करने से लेकर इनके अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. इन उपायों को करने से जीवन में अशुभ प्रभाव कम होते हैं.
अगर आप भी कुंडली में ग्रहों के अशुभ प्रभावों से जूझ रहे हैं. जीवन में समस्या और बाधाएं आ रही हैं तो ज्योतष में नवग्रह की शांति के लिए स्तोत्र और शनि स्तोत्र का वर्णन मिलता है. अगर आप पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो तो आप इन नियमित रूप से स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, ऐसा करने से आपको शनि और अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिल जाएगा. जीवन में सुख- समृद्धि का वास होगा. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
यह है श्री नवग्रह स्तोत्र पाठ
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं.
तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं.. (रवि)
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं.
नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं.. (चंद्र)
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं.
कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं.. (मंगल)
प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं.
सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं.. (बुध)
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं.
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं.. (गुरु)
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं.
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं.. (शुक्र)
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं.
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं.. (शनि)
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं.
सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं.. (राहू)
पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं.
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं.. (केतु)
शनिदेव स्तोत्र पाठ
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च.
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:.
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च.
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते.
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:.
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते.
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:.
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने.
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते.
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च.
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते.
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते.
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च.
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:.
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे.
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्.
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:.
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:.
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे.
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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नियमित रूप से करेंगे नवग्रह स्तोत्र का पाठ तो कुंडली में मजबूत होंगे सभी ग्रह, जीवन में नहीं आएंगी बाधाएं