डीएनए हिंदीः कोरोना की वापसी बहुत ही खतरनाक बताई जा रही है. कोरोना के ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट बीएफ.7 को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि ये लाखों लोगों की जान ले सकता है. इस वेरिएंट को लेकर भारत में अब तक चार मरीज मिले हैं और सभी ठीक हो चुके हैं धर पर रह कर ही, लेकिन इस वेरिएंट के दूसरे देशों में जो असर दिखे हैं वह भयानक रहे हैं. तो क्या सच में कोरोना नई तबाही के साथ वापसी किया है या ये एक लहर है जो आ कर चली जाएगी. चलिए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार से जानें कि कोरोना की कुंडली क्या बता रही है.
कोरोना के समय के ग्रह नक्षत्र कैसे थे
दिसम्बर 19 में कोरोना चीन से हुआ था जो मार्च 2020 में भारत तक आ गया था. कोरोना जिस समय पहली बार दिसम्बर 19 में उभरा था उस समय सूर्य ग्रहण भी हुआ था और धनु राशि में उस समय करीब 6 ग्रह मौजूद थे और ये छहः ग्रह एक बड़े विनाश का संकेत दे रहे थे जो साबित भी हुआ था. असल में धुन राशि में उस वक्त गुरु, शनि, केतु के साथ सूर्य, चंद्रमा और बुध विराजमान थे. देश की कुंडली के अनुसार ये सभी अष्टम भाव में मौजूद थे और यही कारण था कि इन ग्रहों की दशा से ही देश में तबाही शुरू हुई थी. इतना ही नहीं राहु उस समय मिथुन और केतु वृश्चिक में था और केतु ही वायरस का कारक बना था.
गुरू और शुक्र हो गए थे कमजोर
केतु के कारण वायरस का जन्म हुआ था और केतु के रोग को ठीक करने की शक्ति गुरू और शुक्र में होती है और जिस दौरान वायरस का प्रकोप था उस समय गुरू और शुक्र दोनों ही पीड़ित अवस्था में थे और कमजोर भी. उस समय गुरु ग्रहण योग से पीड़ित था और बाद में 13 महीने गुरू नीच राशि में थे और इस कारण उनकी सारी शक्ति क्षीण हो गई थी. वहीं उस समय राहु और शुक्र की युति से षडाष्टक योग बना था और ये तबाही का ही संकेत था. ये पूरा समीकरण कोरोना के तबाही मचाने के लिए काफी था.
अभी ग्रहों की स्थिति क्या दे रही है संकेत
वर्तमान में भी देश यानी भारत की कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य शुक्र बुध विराजमान हैं और ये फिर से एक नई तबाही का संकेत दे रहे हैं. इस समय मेष राशि में राहु विराजमान है और सूर्य को पीड़ित बना रहा है. लेकिन गुरु इस समय अपनी ही राशि में मार्गी हैं जो संकट को खत्म करने में कागर हो सकते हैं. बात केतु की करें तो वह इस समय तुला राशि में है और ये भी एक गंभीर बीमारी का कारण नहीं बन सकता है. छठे भाव में केतु का गोचर बीमारी को खत्म कर सकता है. मौजूद समय में कोरोना की तबाही की बात करें तो 17 जनवरी से गुरु पाप कर्तरी योग में होंगे. यानी कि गुरु के आगे राहु और पीछे कुंभ में शनि होंगे. फरवरी में सूर्य शनि युति कष्टदायक हो सकती है.
शनि का बलवान होना बनेगा कष्टकारी
17 जनवरी से कई राशियों पर शनि की साढ़े साती और ढैय्या चलेगी और शनि बलवान भ्ीा होंगे. ऐसे में सूर्य सत्ता में होते हुए भी शनि के प्रभाव से बच नहीं सकेंगे और कमजोर होंगे. ग्रहों की चाल और भी कष्टकारी होगी जब गुरु मेष राशि में राहु के साथ विराजमान होकर शनि की नीच दृष्टि से दृष्ट होंगे. अप्रैल के बाद राहु के प्रभाव भय कायम रखेगा लेकिन इस पर काबू पाया जा सकेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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