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सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा जाता है. छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र को और दूसरी बार कार्ति को. चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी को मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी को कार्तिकी छठ कहा जाता है. कार्तिक माह में मनाए जाने वाले छठ की मान्यता अधिक है और इस माह में लोग इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाते हैं.
चार दिवसीय यह त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को नहाय-खाय के साथ शुरू होता है. जिसकी शुरुआत बीते 8 नवंबर सोमवार से हो गई है. इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति गंगा या नजदीकी नदी, तालाब में डुबकी लगाता है और केवल एक समय सात्विक भोजन करता है. कार्तिक माह की पंचमी को खरना भी कहा जाता है. इस दिन भक्त शाम को प्रसाद के रूप में गुड़, चावल दही और रोटी खाते हैं. खरना के दिन व्रती शाम को प्रसाद ग्रहण करने के बाद करीब 36 घंटे तक यानी कि उगते सूर्य के अर्ध्य होने तक यह व्रत रखते हैं. व्रत के इन चार दिनों में प्याज, लहसुन या किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन करना वर्जित है.

2023 में छठ पूजा कब है? 
इस वर्ष, छठ पूजा 17 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी और सोमवार, 20 नवंबर, 2023 तक चलेगी . 

छठ पूजा 2023 व्रत तिथियां
चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत छठ नहाय खाय से होती है, जो इस साल 17 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा. दूसरे दिन लोहंडा और खरना है जो शनिवार 18 नवंबर को होगा. तीसरे दिन रविवार 19 नवंबर की शाम को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा. सोमवार, 20 नवंबर 2023 को चौथे दिन की सुबह उगते सूर्य को उषा अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा. 

पूजा विधि

कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन घर में पवित्रता के साथ तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें ठेकुआ विशेष रूप से प्रसिद्ध है. सूर्यास्त से पहले सारा भोजन बांस की टोकरियों में घाट पर ले जाया जाता है. यह भी माना जाता है कि छठ पूजा नई फसल का पहला प्रसाद है. इसलिए प्रसाद के रूप में गन्ने का फल दिया जाता है. सभी व्रती स्त्री-पुरुष जल में स्नान करके इन दालों को हाथ में लेकर षष्ठी माता और भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं. कार्तिक शुक्ल सप्तमी को, सूर्योदय से पहले, सभी लोग पकवान, नारियल और फलों का प्रसाद लेकर नदी के तट पर इकट्ठा होते हैं. छठ व्रत की कथा सुनने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत खोलते हैं.

छठ पूजा सामग्री

सूट या साड़ी, दो बड़ी बांस की टोकरियाँ, बांस या पीतल का सूप, दूध और पानी के लिए एक गिलास, एक लोटा और थाली, 5 गन्ने के पत्ते, मिठाई और गन्ना, सुपारी, हल्दी, मुल्लो और अदरक के हरे पौधे, बड़ा मीठा नींबू छठ पूजा में शरीफा, केला, नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल का आटा, ठेकुआ, चावल, सिन्दूर, दीपक, शहद और धूप शामिल करना चाहिए.

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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Chhath Puja starts with Nahay-Khay, know the complete details of puja material and fasting rule
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नहाय-खाय के साथ शुरू होती है छठ पूजा , जानिए पूजा सामग्री और व्रत
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Chhath Puja Samagri and worship method
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Chhath Puja Samagri and worship method

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नहाय-खाय के साथ शुरू होती है छठ पूजा , जानिए पूजा सामग्री और व्रत की पूरी डिटेल
 

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