Chhath Puja Vrat katha : दिवाली के बाद आने वाला छठ का त्योहार महापर्व के रूप में मनाया जाता है. इसमें छठ का व्रत रखा जाता है. इसमें छठी मईया यानी षष्ठी देवी और भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की पूजा की जाती है. पंचांग (Panchang) के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है. छठ दिवाली के 6 दिन बाद मनाई जाती है.
इस साल छठ की शुरुआत 6 नवंबर 2024 की जाएगी. इसका समापन शुक्रवार 8 नवंबर 2024 को होगा. इसमें खरना से लेकर नहाय खाय और सूर्य जल दिया जाता है. छठ महाव्रत बिना कथा के पूर्ण नहीं होता. इसमें छठी माता के व्रत का संकल्प लेने के साथ ही कथा सुनी और पढ़ी जाती है. आइए जानते हैं छठी माता की पूजा और कथा..
छठ पूजा की कथा
छठ पूजा की पौराणिक कथा राजा प्रियव्रत से जुड़ी है. कथा के अनुसार राजा को कोई संतान न होने के कारण वह और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति की कामना के लिए राजा और उसकी पत्नी दोनों महर्षि कश्यप के पास गए. तब महर्षि ने यज्ञ करवाया और राजा की पत्नी गर्भवती हो गई. उसने 9 माह पूरे होने के बाद पुत्र को जन्म दिया. लेकिन वह मरा हुआ पैदा हुआ, जिसके बाद राजा और उसकी पत्नी पहले से अधिक दुखी हो गए.
दुखी होकर राजा प्रियव्रत मरे हुए बेटे के साथ अपने प्राण भी त्यागने के लिए श्मशान में ही आत्महत्या का प्रयास करने लगे. तभी वहां एक देवी प्रकट हुई. देवी ने कहा मैं ब्रह्मा की पुत्री देवसेना हूं और मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई देवी षष्ठी हूं.
अगर तुम मेरी पूजा करोगे और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. राजा ने देवी की बात का पालन किया और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को व्रत रखकर देवी षष्ठी की पूजा की. जिसके बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई. ऐसी मान्यता है कि इसके बाद से ही छठ पूजा की शुरुआत हुई.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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छठ पूजा का व्रत और कथा से कट जाते हैं सभी दुख, व्रत का संकल्प लेने के साथ पढ़ें पूरी कथा