डीएनए हिंदी: Chhath Puja Dharmik Connectio- दिवाली के ठीक छठे दिन यानी कार्तिक माह की षष्ठी तिथि को छठ (Chhath Puja 2022) मनाई जाती है. बिहार और उत्तर प्रदेश में इस त्योहार का अलग ही रंग देखने को मिलता है. यहां पूरी लगन और सच्ची श्रद्धा के साथ यह पर्व मनाया जाता है. दीपोत्सव से ठीक छठे दिन मनाए जाने वाले इस पर्व में लोग डूबते और फिर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस बार छठ का पावन पर्व 30 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व चतुर्थी से प्रारंभ होकर सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होता है. मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से छठी मैया की पूजा करने से भक्तों के सभी दुख दर्द और कष्ट दूर होते हैं. साथ ही उनके मान सम्मान और धन वैभव में वृद्धि होती है. छठ पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिसमें भगवान राम और कर्ण से भी इस पर्व का तार जुड़ता है. चलिए जानते हैं कथा
छठ पूजा के साथ जुड़ा है श्री राम और कर्ण का कनेक्शन (Chhath Puja Connection With Lord Shri Rama And Suryaputra Karn)
छठी पर भगवान राम ने भी सूर्य देव को दिया था अर्घ्य
छठ पूजा और सूर्य पूजा का उल्लेख रामायण में भी मिलता है. भगवान राम सूर्यवंशीय क्षत्रिय थे इसलिए उनके कुल देव भगवान सूर्य थे. वर्णन है कि रावण के वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि मुनियों के आदेश पर उन्होंने राज सूर्य यज्ञ करने निर्णय किया. यज्ञ के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया, ऋषि नें मां सीता को पवित्र करने के लिए उनपर गंगाजल डाला और उन्हें कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना और उनको अर्घ्य देने का आदेश दिया.
कहा जाता है तब मां सीता ने मुग्दल ऋषि के आदेश का पालन करते हुए उन्ही के आश्रम में रहकर 6 दिनों तक सूर्यदेव की पूजा की और सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया. कहा जाता है तब से ही ये परंपरा चली आ रही है. मान्यता है इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और जीवन में किसी भी तरह के रोग व दोष से मुक्ति मिलती है.
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कर्ण ने सबसे पहले शुरू की थी सूर्य देव की पूजा
दूसरी मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. कहा जाता है सूर्यपुत्र कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे उन्होंने ही सबसे पहले सूर्य देव की पूजा शुरू की थी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. माना जाता है कि सूर्य देव की कृपा से ही वह महान योद्धा बने. ऐसे में आज भी छठ में सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा प्रचलित है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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Chhath Pooja: छठ पूजा से क्या है राम का कनेक्शन, कर्ण ने की थी सूर्य देव की पूजा