आचार्य चाणक्य के अनुसार अपना घर बनाना हर किसी का सपना होता है. वह जीवन भर इसके लिए पैसे बचाता है, लेकिन अगर वह घर बनाने के लिए गलत जगह चुनता है, तो यह उसके लिए नर्क बन जाता है. ऐसी जगह पर रहकर वह दिन-रात परेशानियों से घिरा रहता है और उसका चलता हुआ काम भी रुक जाता है.
किस जगह पर घर नहीं बनाना चाहिए?
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस स्थान पर लोगों को नियम-कायदों का डर नहीं होता है. ऐसी जगह पर कभी भी घर न बनाएं. ऐसी जगहों पर हमेशा दंगे होने की आशंका बनी रहती है और जान-माल की हानि का भी डर रहता है.
जहां लोग संस्कारों से वंचित हैं
चाणक्य कहते हैं कि ऐसे घर बनाने से बचना चाहिए जहां लोग संस्कारों से वंचित हों और उन्हें लोक-लाज का डर न हो. ऐसी जगह पर घर बनाने से आपका साथ जरूर खराब हो जाएगा. बच्चे भी बिगड़ जाते हैं.
जहां रोजगार के अवसर नहीं हैं
चाणक्य के अनुसार जिस स्थान पर रोजगार के साधन न हों. जहां घर बनाना पैसों की बर्बादी है. ऐसे स्थानों पर आवास बनाने से आजीविका का स्थाई संकट उत्पन्न हो जाता है और परिवार के सामने भुखमरी की नौबत आ जाती है. बसने के लिए हमेशा ऐसी जगह का चयन करना चाहिए जहां आजीविका के कई साधन हों.
ऐसी जगह पर घर बनाना उचित होता है
चाणक्य के अनुसार जहां दानी लोग निवास करते हैं. दान-पुण्य में विश्वास रखें. कानून का पालन करें. सहयोग की भावना बनाए रखें. शांत स्वभाव का होना चाहिए और पास में आजीविका का साधन भी होना चाहिए. वहां घर बनाना सदैव लाभदायक रहता है.
जहां सामाजिक मूल्य का महत्व हो
चाणक्य के अनुसार घर ऐसी जगह बनाना चाहिए जहां समाज और परिवार का बेहतर माहौल हो और लोगों को लोक-लाज का भय भी हो. वहीं घर बसाना सबसे अच्छा माना जाता है जहां सामाजिक मूल्य सबसे ऊंचे हों.
दानशील लोग जहां रहते हैं
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घर ऐसा स्थान होना चाहिए जहां परोपकारी लोग रहते हों और त्याग की भावना रखते हों. ऐसी जगह पर घर स्थापित करने से आपके अंदर परोपकार की भावना भी पैदा होती है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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