डीएनए हिंदी: नवरात्रि पर्व (Navratri 2023) का हिंदू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व होता है. नवरात्रि (Navratri 2023) में नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन दिनों और भी कई सारी परंपराओं का पालन किया जाता है. इन्हीं परंपराओं में से एक जवारे बोने की परंपरा है. नवरात्रि के पहले दिन जवारे बोए जाते हैं और नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) के बाद दशमी तिथि को जवारे का विसर्जन (Jawara Visarjan 2023) किया जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) पर बोए गए जवारे का विसर्जन चैत्र शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को किया जाएगा. तो चलिए चैत्र नवरात्रि के जवारे विसर्जन (Jawara Visarjan 2023) के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में जानते हैं.
जवारे विसर्जन शुभ मुहूर्त (Jawara Visarjan Shubh Muhurat)
चैत्र माह की शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को जवारे विसर्जन किया जाएगा. चैत्र शुक्ल पक्ष दशमी तिथि की शुरुआत 30 मार्च को रात 11 बजकर 30 मिनट पर होगी और इलका समापन 31 मार्च की रात को 1 बजकर 58 मिनट पर होगा. सूर्योदय तिथि को महत्व देते हुए दशमी तिथि 31 मार्च को होगी. इसी दिन शुभ जवारे विसर्जन किया जाएगा. जवारे विसर्जन का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त और अमृत मुहूर्त में होगा. इस दिन पुष्य नक्षत्र भी पूरे दिन रहेगा. अभिजीत मुहूर्त 31 मार्च को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनच तक रहेगा. अमृत काल मुहूर्त शाम 6 बजकर 46 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक होगा.
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जवारे विसर्जन की विधि (Jawara Visarjan Vidhi)
नवरात्रि समापन के बाद दशमी तिथि को देवी मां की पूजा करें. पूजा में मां देवी को पुष्प, गंध, अक्षत हल्दी, सुहाग श्रृंगार सामग्री आदि चीजें अर्पित करें. पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें.
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे.
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते.
इस मंत्र उच्चारण से पूजा करने के बाद जवारे की पूजा करें. जवारे की पूजा के लिए चावल, फूल, कुमकुम आदि चीजों को अर्पित करें. इसके बाद सम्मानपूर्वक किसी नदी या तालाब में जवारे का विसर्जन कर दें. विसर्जन के समय इस मंत्र का उच्चारण करें. मंत्र उच्चारण के बाद मां देवी से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च.
जवारे बोए जाने का महत्व (Jaware Bone Ka Mahatva)
नवरात्रि पर्व में जवारे बोने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है. जवारे बोए जाने के पीछे मनोवैज्ञानिक महत्व होता है. जवारे या जौ सृष्टि की पहली फसल थी. इस फसल को देवी मां को अर्पित करने और विसर्जन करने का विशेष महत्व होता है. आयुर्वेद में भी जवारे का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. इसके कई औषधिय लाभ भी होते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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कब होता है नवरात्रि में बोए जाने वाले जवारे का विसर्जन, जानें शुभ मुहूर्त और विसर्जन विधि