पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यमद्वितीया के नाम से भी प्रसिद्ध है. पौराणिक कथा के अनुसार, भौबीजी के दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन के लिए जाते हैं, इसलिए इस दिन को मनाने के लिए इस दिन को यमद्वितीया कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं.
इस साल दिवाली लक्ष्मी पूजन दो दिन दूर होने के कारण लोग भौबीजे उत्सव को लेकर असमंजस में हैं. ऐसे में जानिए कब है भाई दूज, किस शुभ समय पर बहन को अपने भाई को देना चाहिए औषध.
3 या 4 नवंबर कब है भाई?
मराठी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर 2024 को रात्रि 8:22 बजे से 3 नवंबर 2024 को रात्रि 11:06 बजे तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा.
भाई दूज पर्व पर बन रहे हैं अशुभ योग, पड़ने वाली है राहुकाल की अशुभ छाया. दैनिक विश्राम का समय शाम 4.12 मिनट से 5.34 मिनट तक रहेगा. निवास के बाद भाई को तिलक लगाना चाहिए.
'यह' एक प्यारे भाई को हाथ हिलाने का शुभ समय है!
3 तारीख को सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा. तो इसके बाद शोभन योग लगेगा. इसलिए भौराया जाने के लिए सबसे अच्छा पूजा का समय सुबह 11 बजे से सुबह 45 बजे तक होगा.
3 शुभ अवसरों पर अपने भाई को तिलक लगाएं
पहला मुहूर्त - शाम 07:57 बजे से रात 09:19 बजे तक
दूसरा मुहूर्त - सुबह 09:20 बजे से सुबह 10:41 बजे तक
तीसरा शुभ मुहूर्त - सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
बहनें भाइयों के साथ करें ये काम!
भौबीजे की शाम को आसमान में चांद की कोर देखने के बाद बहन सबसे पहले अर्धचंद्र को लहराती हैं. फिर वह अपने भाई को सोफे पर बिठाती है. वहां वह दीपक, हल्दी-कुंकु, अक्षत से सजी थाली लेकर सबसे पहले चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने भाई को. फिर भाई बहन की थाली बहन की तरफ लहराता है. यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता है.
ऐसा माना जाता है कि जीजा के दिन बहन की अनामिका उंगली (अनामिका उंगली) में अमृत तत्व होता है. इसलिए बहनों को दाहिने हाथ की अनामिका उंगली से भाई का स्पर्श करना चाहिए. इस बात का विशेष ध्यान रखें. निंदा करते समय भाई को अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए. इस समय बहनों को अपने भाई के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. इसके बाद भाई को तिल लगाना चाहिए और अक्षत लगाना चाहिए.
भगवान श्रीकृष्ण से भी एक कथा जुड़ी हुई है. इस कहानी के अनुसार भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया और अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए. भाई-बहन के इस मिलन के बाद से इस दिन को भाई-बहन के रूप में मनाया जाता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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आज या कल कब लगाएं भाई के माथे पर टीका, भाई दूज का जान लें सबसे शुभ मुहूर्त