नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है. इसका समापन भी 12 अक्टूबर 2024 को होगा. मान्यता है कि नवरात्रि में देवी मंदिरों के दर्शन और पूजन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. पूजा के अलावा, इस त्योहार के दौरान कई लोग देश के प्रसिद्ध दुर्गा देवी मंदिरों में भी जाते हैं. आज हम आपको देश के प्रसिद्ध दुर्गा देवी मंदिरों में से एक के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस मंदिर की पौराणिक कथा पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे.
कथा प्रसिद्ध है
वैष्णो देवी, कामाख्या देवी, नैना देवी या चामुंडा देवी मंदिरों के बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं. ऐसे ही देश में एक ऐसा मंदिर है जिसकी पौराणिक कथा पंचक्रोशी में प्रसिद्ध है. हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, वह राजस्थान में जीण माता मंदिर के नाम से मशहूर है, यह एक दुर्गा मंदिर है, जिसे भक्त एक चमत्कारी मंदिर मानते हैं. इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं जो हम आज के लेख में जानने जा रहे हैं.
1200 साल पुराना इतिहास
जीण माता मंदिर का इतिहास बहुत पुराना और प्राचीन है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 1200 साल पहले किया गया था. इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण किया गया. इस मंदिर के बारे में एक मान्यता यह है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था. कहा जाता है कि इस मंदिर की दीवारों पर 9वीं शताब्दी से भी पुराने शिलालेख हैं. मंदिर में कुल आठ शिलालेख हैं, जो मंदिर के सबसे पुराने हिस्से का प्रमाण माने जाते हैं.
मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जीण माता का जन्म चौहान नामक राजा के घर में हुआ था. जीण की मां के बड़े भाई का नाम हर्ष था. हर्ष को दैवीय अवतार माना जाता है. कथा के अनुसार एक दिन भाई-बहन के बीच किसी बात पर विवाद हो गया और जीण माता क्रोधित हो गईं, जिसके बाद वह राजस्थान के सीकर में तपस्या करने लगीं. भाई के लाख समझाने के बाद भी देवी जीन का गुस्सा शांत नहीं हुआ. बाद में धीरे-धीरे इस स्थान की पूजा की जाने लगी और इसे पवित्र स्थान माना जाने लगा.
औरंगजेब ने देवी के मंदिर में जाकर माफ़ी मांगी
जीण मंदिर को एक चमकदार मंदिर के रूप में जाना जाता है. एक प्रसिद्ध किंवदंती है कि एक दिन औरंगजेब ने इस मंदिर को लूटने और ध्वस्त करने के लिए अपनी सेना यहां भेजी थी. जब मंदिर के पुजारियों ने हजारों सैनिकों को देखा और सुरक्षा के लिए माता को पुकारा, तो माता के चमत्कार के कारण बड़ी-बड़ी मधुमक्खियाँ औरंगजेब की सेना पर टूट पड़ीं. मधुमक्खियों के हमले से पूरी सेना गंभीर रूप से घायल हो गई और इसके कारण पूरी सेना को भागना पड़ा. जब औरंगजेब बहुत बीमार हो गया तो उसने देवी के मंदिर में जाकर क्षमा मांगी. कहा जाता है कि औरंगजेब ने ठीक होने के बाद मंदिर में एक अखंड दीपक भी स्थापित कराया था.
जीण देवी मंदिर कैसे जाएं?
नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में भक्तों की अच्छी भीड़ देखी जा सकती है. राजस्थान में स्थित इस मंदिर के दर्शन के लिए आपको सबसे पहले जयपुर जाना होगा. यह मंदिर यहां से नजदीक है. जयपुर से जैन माता मंदिर की दूरी लगभग 115 किमी है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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देवी के इस मंदिर में जाकर जब औरंगजेब के भी छूट गए थे पसीने, नवरात्रि में जरूर करें यहां दर्शन