Adi Kailash and Om Parvat Yatra 2024: उत्तराखंड स्थित आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा शुरू हो गई है. सोमवार सुबह यहां के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना हुआ. यह यात्रा कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) की ओर से संचालित हो रही है. पहले जत्थे 49 श्रद्धालु शामिल हैं. जिन्हें सुबह आठ बजे टीआरएच काठगोदाम से पिथौरागढ़ के लिए रवाना हुआ. यात्रा के लिए अब तक करीब 500 से भी ज्यादा यात्रियों से रजिस्ट्रेशन कराया है.
आदि कैलाश और ओम पर्वत (Adi Kailash And Om Parvat) के लिए सोमवार सुबह पहला जत्थ रवाना हुआ. इसमें 49 श्रद्धालु शामिल हुए हैं. इनमें 32 पुरुष और 17 महिलाएं शामिल हैं. सभी श्रद्धालु उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड से हैं. आदि कैलाश और ओम पर्वत दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालु उच्च हिमालयी क्षेत्र ज्योलिंगकांग, कालापानी और नाभीढांग में भोजपत्र के पौधों का रोपण करेंगे.
भोजपत्र और पौधे लगाने होंगे
पर्यटक आवास गृह प्रबंधक दिनेश गुरुरानी ने बताया कि ओम पर्वत और आदि कैलाश की यात्रा (Kailash Yatra 2024) पर जानें वाले श्रद्धालुओं को पांच भोजपत्र और स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने होंगे. उन्हें यह दिए जाएंगे. दोनों पर्वत चोटियों का बड़ा धार्मिक महत्व है. यही वजह है कि हर साल की तुलना में यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ी है. इस बार पिछली बार से ज्यादा 500 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
श्रद्धालु ऐसे पहुंचेंगे ओम पर्वत और कैलाश पर्वत
आदि कैलाश और ओम पर्वत उत्तरखंड के पिथौरागढ़ में भारत चीन बॉर्डर पर स्थित है. इन दोनों चोटियों के दर्शन का बड़ा महत्व है. यहां दर्शन के लिए यात्री व्यास घाटी जहां आदि कैलाश और ओम पर्वत स्थित हैं, रास्ते में गुंजी, कुटी, नाभि जैसे सुंदर गांवों के साथ हरी-भरी और सुंदर घाटियों और गांवों से होते हुए निकलेंगे. इस दौरान आरामदायक होमस्टे भी होंगे. आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा की शुरुआत काठगोदाम या पंतनगर हवाई अड्डे से होती है.
देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.
- Log in to post comments
उत्तराखंड के आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा शुरू, पहले जत्थे में रवाना हुए इतने श्रद्धालु