चैज्ञ नवरात्रि का पांचवा दिन 3 अप्रैल 2025 दिन गुरुवार को है. शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के 5वें स्वरूप देवी स्कंदमाता की विशेष पूजा की जाती है. देवी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति की शुभ कामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. स्कंद का अर्थ है कार्तिकेय. देवी दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता नाम दिया गया है क्योंकि वह कार्तिकेय की माता थीं. काशी खंड, देवी पुराण और स्कंद पुराण में उनका विस्तार से उल्लेख किया गया है.

स्कंद माता का स्वरूप :
माता स्कंदमाता स्कंद के पुत्र भगवान कार्तिकेय की माता थीं. अगर हम माता के स्वरूप का वर्णन करें तो स्कंद माता की गोद में स्कंद देव बैठे हुए हैं. माता स्कंद कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासन की देवी भी कहा जाता है. माता स्कंद को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है. माता का वाहन सिंह है. ऐसा माना जाता है कि मां की पूजा करने से बच्चों का सौभाग्य बढ़ता है.

नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता पूजा मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:43 पूर्वाह्न से 05:34 पूर्वाह्न तक
प्रातःकाल मुहूर्त- 05:08 पूर्वाह्न से 06:24 पूर्वाह्न तक
अभिजीत मुहूर्त- 11:43 पूर्वाह्न से 12:29 अपराह्न तक
विजय मुहूर्त- 02:00 अपराह्न से 02:45 अपराह्न तक
संध्या मुहूर्त- 05:48 अपराह्न से 06:13
अपराह्न तक सायंकाल मुहूर्त- 05:48 अपराह्न तक 07:04 PM
अमृत काल- 12:14 PM से 01:51 PM तक

नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता पूजा विधि

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और फिर साफ कपड़े पहनें.
- देवी की मूर्ति का गंगा जल से अभिषेक करें.
- अभिषेक के बाद पुष्प अर्पित करें.
- इसी तरह अपनी मां को भी केसर लगाएं.
- अपनी मां को मीठा पकवान और पांच प्रकार के फल अर्पित करें.
- जितना संभव हो सके स्कंद माता का ध्यान करें.
- अपनी मां की आरती करना न भूलें.

माता स्कंद का प्रिय रंग, पुष्प और भोग

देवी दुर्गा की स्कंदमाता रूप में पूजा करने से परम शांति और खुशी का अनुभव होता है. स्कंद माता को सफेद रंग सबसे प्रिय है. यदि आप देवी स्कंद को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी पूजा करते समय आपको सफेद वस्त्र पहनने चाहिए. इस दिन आपको देवी स्कंद को केले का भोग लगाना चाहिए. और खीर का भोग लगाना चाहिए.

स्कंदमाता प्रार्थना

ॐ देवी स्कंदमातायै नमः सिंहसंगताम् नित्यं पद्मञ्चित कराद्वये

स्कंदमाता मंत्र

ॐ देवी स्कंदमाताय नमः

स्कंद माता की कहानी

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राक्षस तारकासुर ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की और उनसे अमरता का वरदान प्राप्त किया. वरदान देने के बाद भगवान ब्रह्मा ने यह सत्य बताया कि हर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है. इसके बाद वह सोचता है कि शिव कभी विवाह नहीं करेंगे और वरदान मांगता है कि अगर उसकी मृत्यु हो तो वह शिव के पुत्र के द्वारा ही मरे. ब्रह्मा मुस्कुराकर इस बात से सहमत हो जाते हैं. वरदान प्राप्त करने के बाद अहंकारवश तारकासुर ने लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया. इस अवसर पर लोग भगवान शिव से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं. फिर शिव और पार्वती का विवाह होता है. तारकासुर का वध उनके पुत्र कार्तिकेय द्वारा किया जाता है. इसी कारण देवी को स्कंदमाता कहा जाता है.

स्‍कंदमाता आरती

जय तेरी हो स्‍कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ों पर हैं डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इंद्र आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं
तुम ही खंडा हाथ उठाएं

दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.  डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.  

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5 day of Chaitra Navratri worship Goddess Skandamata know mantra-aarti offering katha and puja vidhi
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नवरात्रि के पांचवे दिन इस विधि से करें देवी स्कंदमाता पूजा, जान लें मंत्र-आरती
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नवरात्रि के पांचवे दिन इस विधि से करें देवी स्कंदमाता पूजा

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नवरात्रि के पांचवे दिन इस विधि से करें देवी स्कंदमाता पूजा, जान लें मंत्र-आरती से लेकर भोग तक

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