डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Fast) करना बहुत ही पुण्यकारी माना गया है. मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2022) आज यानी रविवार, 20 नवंबर को है और इस दिन भगवान विष्णु (Bhagwan vishnu) की पूजा के साथ देवी उत्पन्ना (Devi Utpanna) की पूजा जरूरी होती है. साथ ही इस दिन पूजा के समय व्रत कथा (Vrat Katha) पढ़ना भी जरूरी होता है और इस कथा को पढ़े बिना पूजा का पुण्यफल नहीं मिलेगा.
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का फल हजारों यज्ञ व लाख गौदान से भी बढ़कर माना गया है. मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष को आने वाले उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु की योग निद्रा के समय उत्पन्ना देवी द्वारा मुर नाम के राक्षस के वध किए जाने पर होती है. तो चलिए जानें कि भगवान श्रीकृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को इस एकादशी की कथा के बारे में क्या बताया था.
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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
सतयुग में मुर नामक एक भयानक व बलवान राक्षस था. उसने देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को पराजित कर दिया. उसके भय से सभी देवता भगवान शिव के कहने पर भगवान विष्णु की शरण में गए. स्तुति व पूजन कर देवताओं ने भगवान विष्णु से मुर राक्षस से रक्षा करने की प्रार्थना की.
देवराज इंद्र ने बताया कि चंद्रावती नगरी का राक्षस राजा मुर नाड़ीजंघ राक्षस का पुत्र है. जिसने इंद्र, अग्नि, वरुण, यम, वायु, ईश, चंद्रमा, नैऋत आदि सबके स्थान पर अधिकार कर लिया है. यह सुन भगवान विष्णु ने देवताओं को मुर राक्षस के वध का आश्वासन दिया.
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इसके बाद देवताओं व मुर राक्षस की सेना का भीषण युद्ध हुआ. लेकिन 10 हजार वर्ष युद्ध चलने पर भी भगवान विष्णु मुर राक्षस पर विजय नहीं पा सके. तब थककर भगवान बद्रिकाश्रम चले गए. जहां उन्होंने हेमवती नामक सुंदर गुफा में विश्राम किया. पर जब वे योगनिद्रा में थे, तब मुर भी पीछे-पीछे वहां पहुंच गया.
उसने सोये हुए भगवान को मारने के लिए आक्रमण करना चाहा. इसी समय श्रीहरि के शरीर से उज्ज्वल व कांतिमय रूपवाली एक देवी प्रकट हुईं, जिसने मुर राक्षस से युद्ध कर उसे मौत के घाट उतार दिया. जब भगवान नारायण योग निद्रा से जागे तो उन्होंने देवी की प्रशंसा की. कहा कि तुम्हारा जन्म एकादशी के दिन हुआ है, इसलिए तुम एकादशी के नाम से पूजी जाओगी. जो भी मेरे भक्त होंगे, वही तुम्हारे भी होंगे. उस दिन से ही एकादशी का व्रत शुरु हुआ.
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Utpanna Ekadashi Katha: आज उत्पन्ना एकादशी पर जरूर सुन लें ये कथा, वरना नहीं मिलेगा व्रत का लाभ