डीएनए हिंदीः क्या आपको पता है कि देवी दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए पुरातन समय में भी तवायफ के कोठे से मिट्टी लाई जाती थी और तभी प्रतिमा बनती थी. वहीं देवी प्रतिमा को बनाने के लिए और किस जगह की मिट्टी का इस्तेमाल होता है, क्या आपको पता है?
Slide Photos
Image
Caption
देवी की प्रतिमा के लिए कहीं पांच तो कहीं दस प्रकार कि मिट्टी का मिलान किया जाता है. जगह-जगह की मिट्टी के प्रयोग के पीछे पौराणिक मान्यता रही है. देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि सभी देवों और प्रकृति के अंश से मां दुर्गा का तेज प्रकट होता है इसलिए मूर्ति के निर्माण में दस स्थानों की मिट्टी मिलाने की पौराणिक परंपरा रही है. वहीं कुछ जगहों पर केवल पांच प्रकार कि मिट्टी मिलाने का विधान है. तो चलिए जानें कि देवी की प्रतिमा में वेश्यालाय के आंगन की मिट्टी का प्रयोग क्यों होता है.
Image
Caption
एक सबसे प्रचलित कहानी के अनुसार कहा जाता है कि पुराने समय में एक वेश्या माता दुर्गा की अनन्य भक्त थी. समाज में मिलने वाले तिरस्कार से वह बेहद दुखी रहती थी तब देवी ने उसकी पूजा और भक्ति से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया था कि उनकी प्रतिमा में जब तक किसी तवायफ के आंगन की मिट्टी नहीं मिलेगी तब तक वह अपनी प्रतिमा में वास नहीं करेंगी.
Image
Caption
मान्यता यह भी रही है कि जब कोई व्यक्ति तवायफ के दरवाजे पर कदम रखता है तो वह अपनी पवित्रता द्वार पर ही छोड़ कर अंदर प्रवेश करता है. उसके अच्छे कर्म और शुद्धियां बाहर रह जाती हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि वेश्यालय के आंगन की मिट्टी सबसे पवित्र हुई, इसलिए उसका प्रयोग दुर्गा मूर्ति के लिए किया जाता है.
Image
Caption
पुराणों के जानकार नृसिम्हा प्रसाद भदूरी के अनुसार अनुष्ठानों के लिए दस मृतिका की आवश्यकता होती है. दस मृतिका यानी दस जगहों से एकत्र की गई मिट्टी. इसमें तवायफ के आंगन की मिट्टी के अलावा पहाड़ की चोटी, नदी के दोनों किनारों, बैल के सींगों पर लगी मिट्टी, हाथी के दांत, सुअर की ऐड़ी की मिटृटी, दीमक के ढेर की मिट्टी, किसी महल के मुख्य द्वार और किसी चौराहे के साथ ही किसी बलि भूमि की मिट्टी ली जाती है.
Image
Caption
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दुर्गा पूजा के लिए माता दुर्गा की जो मूर्ति बनाई जाती है उसके लिए 4 चीजें बहुत जरूरी होती हैं. पहली गंगा तट की मिट्टी, दूसरी गोमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी. इन सभी को मिलाकर बनाई गई मूर्ति ही पूर्ण मानी जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)