आज पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक में धूमधाम से त्योहार मनाया गया है. प्रकृति के महोत्सव में लोगों ने कोरोना की पाबंदियों के बीच हिस्सा लिया है. मकर संक्रांति के मौके पर लोगों ने नदी-स्नान किया तो पोंगल का उल्लास भी दक्षिण के राज्यों में खूब दिखा है. तस्वीरों में देखें असम से लेकर तमिलनाडु तक त्योहारों का उत्सव.
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भोगाली बीहू असम का प्रमुख प्रकृति पर्व है. इस बार भी लोग घरों से बाहर निकलकर खेतों में गए और पारंपरिक बीहू नृत्य किया. इस मौके पर सामूहिक मछली पालन के लिए जलाशय में उतरने की परंपरा है.
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बीहू त्योहार के मौके पर असमवासी पारंपरिक नृत्य करते हैं. लोकगीत गाए जाते हैं और खाने-पीने का आनंद लेते हैं. कोरोना की पाबंदियों के बीच भी लोग घरों से निकले और त्योहार की सभी रस्मों को पूरा किया.
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पोंगल तमिल लोगों का पारंपरिक प्रकृति त्योहार है. यह फसल कटने का उत्सव है और इस दिन नए चावल की खीर का भोग लगाया जाता है. तमिलनाडु के सभी संस्थान इस दिन बंद रहते हैं. लोग धूमधाम ने नव वर्ष का आगमन करते हैं.
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पोंगल उत्सव और संस्कृति का त्योहार है. इसकी तैयारी कई सप्ताह पहले से होने लगती है. घरों की साफ-सफाई कर आंगन में रंगोली बनाई जाती है. घर में पकवान बनते हैं और केले के पत्तों और तोरणों से घर सजाए जाते हैं.
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मकर संक्रांति के मौके पर नदियों में स्नान करने की परंपरा है. गंगा में डुबकी लगाने के लिए लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं. इसके अलावा, किसी भी प्रमुख नदी या जलाशय में लोग स्नान करते हैं और दान देते हैं.
तस्वीर: गंगा सागर की.
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मकर संक्रांति के मौके पर पतंग उड़ाने की परंपरा है. आज शहर और गांवों के आसमान में पतंग ही पतंग नजर आ रही थी.