भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल केदारनाथ धाम से जुड़ी कई कहानियां हैं. हर साल बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं. केदारनाथ मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य हैं और कई मिथकीय कहानियां. जो भी है, लेकिन हिंदुओं के चार धाम में शुमार है. जानिए यहां से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक बातें.
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इस मंदिर के निर्माण को लेकर कई कहानियां हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों के बीच इस मंदिर के निर्माण को लेकर पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता. उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर इस मंदिर को 1,000 साल पुराना माना जाता है. यरह भी कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर की मरम्मत का काम बड़े पैमाने पर किया
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केदरानाथ में जिस शिवलिंग की पूजा होती है, उसे लेकर भी पौराणिक कहानियां हैं. कहते हैं कि महाभारत युद्ध जीतने के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या का प्रायश्चित करना चाहते थे. पांचों पांडव भगवान शिव के दर्शन के लिए काशी गए थे. भाइयों की हत्या की वजह से शिव उनसे नाराज थे और दर्शन नहीं दिए और हिमालय चले गए. इसके बाद पांडव हिमालय पहुंच गए.
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भगवान शिव को खोजते हुए पांचों पांडव हिमालय पहुंचे. नाराज शिव को मनाना इतना आसान नहीं था. शिव न वहां बैल रूप धर लिया. हालांकि, पांडवों ने शिव को पहचान लिया. इसके बाद भीम ने दो पैरों के बीच पैर रख दिया. सभी गाय और बैल भीम के पैर के नीचे से निकल गए, लेकिन शिवजी ने ऐसा नहीं किया. भीम शिवजी को पकड़ना चाहते थे, लेकिन शिव जमीन के अंदर चले गए और बैल रूप की पीठ ही हाथ लगी. इसी वजह से केदारनाथ में भगवान शिव की कूबड़नुमा पिंडी के रूप में पूजा होती है.
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ऐसी किवंदती भी है कि भगवान शिव जब बैल रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ का ऊपरी हिस्सा नेपाल के काठमांडू में दिखा. वहां उन्हें पशुपतिनाथ के तौर पर पूजा जाता है. मुख रुद्रनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि पद्महेश्वर और जटा कल्पेश्वर में मिलीं. इन पांचों जगहों पर शिवजी के भव्य मंदिर हैं.
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केदारनाथ के पुजारी पारंपरिक तौर पर मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते हैं. यह भी कहते हैं कि पांडवों के वंशज कहे जाने वाले जन्मेजयों ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया था.