श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म, कर्म, प्रेम, मोक्ष, न्याय आदि से जुड़ी कई बातें बताई हैं, इसमें लिखी बातों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति समस्त समस्याओं से मुक्त होकर सुखी जीवन जीता है. गीता में श्रीकृष्ण ने 3 नरक के द्वार के बारे में भी बताया गया है. आइए जानें इसके बारे में...
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भगवान श्रीकृष्ण ने जिन 3 नरक के द्वार के बारे में बताया है, उनके दर्शन व्यक्ति को इसी जीवनकाल में ही हो जाते हैं. इसलिए अगर आप सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो इन 3 नरक के द्वार से दूर रहें, आइए जान लेते हैं ये 3 नरक के द्वार कौन से हैं...
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गीता में लिखे इस श्लोक में बताया गया है कि काम, क्रोध और लोभ ये तीनों आत्मा का नाश करने वाले नरक के द्वार हैं. इसलिए हर इंसान को इन तीनों को त्याग देना चाहिए.
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काम-वासना या अत्यधिक इच्छाएं हावी हो जाएं तो व्यक्ति विवेक खो बैठता है. इच्छाएं जब का कोई पूरी नहीं होती हैं तो मन में अशांति पैदा होती है. ऐसे में यह अशांति आगे जाकर मोह, निराशा और गलत निर्णयों का कारण बनती है. काम मनुष्य को आत्मकेंद्रित बनाता है और इससे व्यक्ति दूसरों का अहित करने लगता है.
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कहते हैं क्रोध वह अग्नि है जो सबसे पहले उसी व्यक्ति को जलाती है, जिसके भीतर यह पैदा होती है. क्रोध बुद्धि का नाश कर देता है और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है तो ऐसी स्थिति में इंसान सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता. क्रोध से हिंसा, द्वेष और अपशब्द पैदा होते हैं.
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लालची व्यक्ति हमेशा दूसरों से अधिक पाने की चाह में उलझा रहता है. ऐसे में इंसान नैतिकता और धर्म की सीमाओं को लांघ कर धन या भौतिक सुख-सुविधाएं हासिल करने की कोशिश करता है. लोभ धीरे-धीरे पाप की ओर ले जाता है और अंत में वह स्वयं अपने जीवन को नरक के द्वार पर लाकर खड़ा कर देता है.
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काम, क्रोध और लोभ-इन तीनों को त्याग कर व्यक्ति सच्चे अर्थों में धर्म के मार्ग पर चल सकता है, इससे ही व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है. इन दोषों से मुक्त होकर ही आत्मा का कल्याण हो सकता है. इसलिए इनका त्याग कर देना चाहिए.
Short Title
Geeta Updesh: भगवान श्रीकृष्ण ने कौन सी 3 चीजों को बताया है 'नरक का द्वार'