डीएनए हिंदी: आज सितंबर महीने का पहला दिन है और इस महीने की शुरुआत बेहद ही खास व्रत से हो रहा है. सितंबर का यह महीना व्रत और त्यौहार की दृष्टि से बेहद खास है इस महीने अनेक व्रत और त्योहार आने वाले हैं. आज सितंबर माह का पहला व्रत है जिसे हमारी संस्कृति में ऋषि पंचमी के नाम से जानते हैं. मान्यता है जो महिलाएं इस व्रत को रखती हैं उनके पिछले जन्म का पाप मिट जाता है और सारी मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं.
ऋषि पंचमी का इतिहास और इस व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक सदाचारी ब्राह्मण जिनका नाम विदर्भ था अपनी पत्नी सुशीला और अपने पुत्र व पुत्री के साथ रह रहे थे. पुत्री के विवाह योग्य होने पर विदर्भ ने उसकी शादी कर दी जिसके कुछ समय बाद ही दुर्भाग्यवश उनकी पुत्री विधवा हो गई. जिसके बाद वह अपने पिता के पास वापस लौट आई.
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कुछ समय बाद विदर्भ की पुत्री को अचानक से कीड़े पड़ने लगे हालत गंभीर होता देख विदर्भ अपनी पुत्री को एक ऋषि के पास ले गए जहां उस ऋषि ने बताया कि उनकी पुत्री पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थी जिसने रजस्वला के समय पर बर्तन छू लिए थे. शास्त्रों में रजस्वला के दौरान स्त्री को कार्य करने की मनाही है, विदर्भ की पुत्री ने इस बात का पालन नही किया जिसका दंड उसे इस जन्म में भुगतना पड़ रहा है. उस पाप को धुलने के लिए इस जन्म में भी विदर्भ की पुत्री ने ऋषि का व्रत नही किया जिसकी वजह से उसके शरीर मे कीड़े पड़ने लगे. ऋषि ने कहा कि यदि ये स्त्री ऋषि पंचमी का व्रत रख सच्चे मन से क्षमा प्रार्थना करे तो इसके पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाएंगे.
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विदर्भ की पुत्री ने ऋषि के कहे अनुसार उसने ऋषि पंचमी का व्रत रखा जिसके फलस्वरूप उसे उसके पिछले जन्म का पापों से मुक्ति मिल गई. इसलिए हिंदू धर्म मे इस व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को रखने से स्त्री के पिछले जन्म के पाप से मुक्ति मिल जाती है.
ऋषि पंचमी की पूजा विधि
इस व्रत में महिलाओं को पूरे विधि विधान से ऋषि और अरुंधति की स्थापना करनी चाहिए साथ ही इस पूजा में हल्दी, चन्दन, रोली, अबीर, गुलाल, मेहंदी, अक्षत, वस्त्र और फूलों से ऋषि पंचमी के व्रत की पूजा करनी चाहिए.
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ऋषि पंचमी का इतिहास और इस व्रत का महत्व
Rishi Panchami: जाने क्या है ऋषि पंचमी का इतिहास और महत्व