दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज में महाकुंभ में दो शाही स्नान हो चुके हैं. इसमें मकर संक्रांति पर साढ़े तीन करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं ने जैसे ही डुबकी लगाई, त्रिवेणी संगम की बूंदें ऐसे छलक उठीं मानो कुंभ से अमृत छलक उठा हो. मंगलवार को महाकुंभ में कई अखाड़ों के साधु संत हाथी और घोड़ों पर सवार होकर अमृत स्नान के लिए पहुंचे. संतों का स्नान अभी भी जारी है. कुंभ में राख लपेटे नागा साधु त्रिवेणी में स्नान के साथ ही तपस्या में जुटे हैं. महाकुंभ साधु संत से लेकर श्रद्धालुओं के लिए एक बड़े उत्सव की तरह होता है. इसको लेकर नागा साधुओं से लेकर अन्य साधु संतों में एक अलग उमंग होती है.
बुधवार को भी महाकुंभ मेले में चप्पे चप्पे पर पुलिस की चौकसी के साथ ही साधु संत भगवान शिव की मस्ती में रमे हैं. महाकुंभ में पुरुष नागा साधुओं के अलावा महिला नागा तपस्वी भी बड़ी संख्या में डेरा डाले हुए हैं. इसमें जगह जगह प्रोग्राम हो रहे हैं. महादेव के गानों के बीच जगह जगह किर्तन चल रहे हैं.
कुंभ में हिस्सा लेना आशीर्वाद से कम नहीं
महाकुंभ में पहुंचे महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी महाराज ने कहा कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन किया जाता है, लेकिन 12 पूर्ण कुंभ के बाद 144 साल में एक बार महाकुंभ होता है. इसमें शाही स्नान से लेकर महाकुंभ में आना श्रद्धालुओं के लिए किसी दुर्लभ आशीर्वाद से कम नहीं है.
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