डीएनए हिंदी: भगवान शिव और उनके भक्तों के लिए सावन का महीना सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस पवित्र महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Sawan Kanwar Yatra 2022) का आयोजन करते हैं. हर साल लाखों भक्त शम्भू को खुश करने के लिए हरिद्वार, बाबा धाम और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं. इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरे कांवड़ को अपन कंधों पर रखकर पैदल लाते हैं, फिर गंगा जल भगवान शिवजी (Lord Shiva) को चढ़ाया जाता है. इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहते हैं. इस साल यह यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है.
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इस साल क्यों है महत्वपूर्ण
दो साल कोविड प्रकोप के बाद इस साल यह यात्रा सभी श्रद्धालुओं के लिए अहम् है, क्योंकि शिव भक्तों को बहुत समय बाद शिव के दर्शन करने का मौका और यात्रा में कांवड़ उठाने का अवसर मिल रहा है. उनका मानना है कि सावन के महीने में शिव के दर्शन और वो भी पैदल चलकर कांवड़ उठाकर, इससे उन्हें इच्छित फल मिलता है.
पहले लोग पैदल ही कांवड़ यात्रा करते थे, दूर-दूर से कई किमी चलकर शिव को जल चढ़ाते थे, लेकिन वक्त के साथ अब कई साधन हो गए हैं.आज हम इस कांवड़ यात्रा से जुड़ी पौराणिक कथा जानेंगे,साथ में ये यात्रा कितने प्रकार की होती है, यात्रा के नियम क्या हैं इससे जुड़ी सभी बातें हम आपको बताएंगे.
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कांवड़ यात्रा की पौराणिक कथा (Mythological story in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था. उस मंथन से 14 रत्न निकले थे, उनमें एक हलाहल विष भी था, जिससे संसार के नष्ट होने का डर था. उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए शिवजी ने उस विष को पी लिया लेकिन अपने गले से नीचे नहीं उतारा. जहर के प्रभाव से भोलेनाथ का गला नीला पड़ गया, इस वजह से उनका नाम नीलकंठ पड़ा. कहा जाता है कि रावण कांवड़ में गंगाजल लेकर आया था, उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया था, तब जाकर शिवजी को विष से राहत मिली थी.
कांवड़ यात्रा के नियम (Rules of Kanwar Yatra)
- इस यात्रा के शुरू होते ही कांवड़ियों के लिए किसी भी प्रकार का नशा करना वर्जित होता है.
- यात्रा के दौरान उस व्यक्ति को मांस,मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज करना होता है.
- कांवड़ यात्रा के दौरान पैदल चलने का विधान है. हालांकि अब लोग बाइक, ट्रक या फिर किसी दूसरे साधनों का इस्तेमाल करने लगे हैं.
- कांवड़ यात्रा में शुद्धता बहुत जरूरी है. इसलिए बिना स्नान किए कावड़ को हाथ नहीं लगाना चाहिए.
- यात्रा के दौरान किसी कारणवश रुकना पड़े तो गंगाजल भरे कांवड़ को नीचे जमीन पर नहीं रखना चाहिए. इसे किसी ऊंचे स्थान पर या स्टैंड पर रखें.
कितनी तरह की होती है कांवड़ यात्रा (Types of Kanwar Yatra)
खड़ी कांवड़: कुछ भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं. इस दौरान उनकी मदद के लिए कोई सहयोगी उनके साथ चलता है. जब वे आराम करते हैं,तो सहयोगी अपने कंधे पर उनकी कांवड़ लेकर कांवड़ को चलने के अंदाज में डुलाते रहते हैं.
डाक कांवड़: मान्यता है कि डाक कांवड़ यात्रा की शुरुआत से कांवड़िए शिव के जलाभिषेक तक बिना रुके लगातार चलते रहते हैं. शिवधाम तक की यात्रा एक निश्चित समय में तय करते हैं.
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Sawan Kanwar Yatra 2022: जानिए यात्रा के नियम, महत्व और इसके पीछे की पौराणिक कथा