डीएनए हिंदी: आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) को श्रेष्ठतम विद्वानों में गिना जाता है. उनके द्वारा रचित नीतियों को आज भी पढ़ा जाता है. राजनीति, कूटनीति, अर्थ नीति इन सभी में उन्हें पारंगत माना गया है. यदि कोई व्यक्ति चाणक्य नीति के बातों को ध्यान से पढ़े तो उसके जीवन की कई समस्याएं दूर हो जाएंगी. चाणक्य नीति में न केवल राजनीति और कूटनीति की बातें बताई गई हैं, बल्कि धन की बचत, सम्मान, गोपनीयता जैसे विषयों को भी समझाया गया है. चाणक्य नीति (Chanakya Niti in Hindi) के इस भाग में आइए जानते हैं किन 7 चीजों को नहीं लगाना चाहिए पैर.
पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च ।
नैव गां न कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा ।।
आचार्य चाणक्य के श्लोक का अर्थ है कि अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गाय, कुमारी, वृद्ध और शिशु को कभी पैर से नहीं छूना चाहिए.
Chanakya Niti व्याख्या
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि सनातन धर्म में अग्नि को भगवान का दर्जा प्राप्त है. अग्नि को प्रज्वलित करके ही हम सभी शुभ कार्य आरंभ करते हैं और इसी को साक्षी मानकर हम वचन भी लेते हैं. यदि व्यक्ति अग्नि का अपमान करता है तो देवता भी उनसे क्रोधित हो जाते हैं. इसके साथ आचार्य श्री ने बताया है कि समाज में ब्राह्मण और गुरु का कभी तिरस्कार नहीं करना चाहिए. इनकाअनादर करने से व्यक्ति का सर्वनाश निश्चित हो जाता है.
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चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि कुंवारी कन्या को देवी का स्थान प्राप्त है इसलिए कन्या को कभी भी पैर ना छूने दें. इसके उलट आप उनका आशीर्वाद लें. आचार्य ने यह भी बताया है कि व्यक्ति को घर के बड़े बुजुर्गों का भी हमेशा सम्मान करना चाहिए उनका अपमान करने से सभी ग्रह क्रोधित हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में परेशानियों का तांता लग जाता है.
आगे बताया गया है कि हिंदू धर्म में गाय को माता की उपाधि दी गई है. इसलिए उन्हें परेशान करना या उन्हें पैर लगाना आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है. इसी तरह शिशु को भी भगवान का रूप माना गया है. उन्हें भी कभी ठोकर नहीं मारना चाहिए या उनका अपमान नहीं करना चाहिए. मान्यता यह है कि उनका अपमान करने से आप भगवान का अपमान कर रहे हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Chanakya Niti: महर्षि चाणक्य के अनुसार घर में कुंवारी कन्या का स्थान यह होता है