डीएनए हिंदी: विश्व के श्रेष्ठतम गुरुओं में आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) का नाम लिया जाता है. उन्होंने जिस तरह चाणक्य नीति में जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों को संगृहीत किया वैसा दूसरा कोई ग्रंथ आज भी मौजूद नहीं है. उनकी नीतियां कई बार कठोर लगती हैं पर उनका ठीक से पालन व्यक्ति के जीवन में कई बदलाव ला सकता है. आचार्य ने भूल के विषय में भी बड़े सरल तरीके से बताया है. उन्होंने गलती और उसे सुधारने की प्रणाली को तीन शब्दों में बताया है. आइए जानते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार '' भूल होना प्रकृति का हिस्सा है, उस भूल को मान लेना संस्कृति है और उसी भूल को सुधार लेना प्रगति है.''
सबसे पहला शब्द है 'भूल'. आचार्य चाणक्यने बताया है कि भूल हम सभी से होती है. वह इसलिए क्योंकि यह हमारी प्रकृति का हिस्सा है. छोटी गलती करना गुनाह नहीं है मगर उस गलती को न मानना सबसे बड़ा गुनाह है. इससे आपकी मुसीबतें कम होने के बजाय और बढ़ जाएंगी.
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दूसरा शब्द है 'स्वीकार'. चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनुसार भूल करने के बाद उसे स्वीकार करना सबसे अधिक जरूरी है. आचार्य के अनुसार गलती मान लेना संस्कृति का हिस्सा है. ऐसा करने से कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता है मगर आपके प्रति सम्मान और भी बढ़ जाता है.
तीसरा शब्द है 'सुधार'. आचार्य इस कथन में बता रहे हैं कि जो व्यक्ति गलती करके उसे स्वीकार लेता है वह व्यक्ति उदार होता है. इसके साथ जो व्यक्ति उस गलती से सीख लेकर उसे सुधार लेता है वह सफलता की राह पर बढ़ता चला जाता है. इसलिए व्यक्ति को गलती करने के बाद उसे सुधारना भी चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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Chanakya Niti: खुशहाल जीवन के लिए करें आचार्य चाणक्य के इन 3 शब्दों का पालन