डीएनए हिंदीः बोधि वृक्ष ही वह वृक्ष है जिसके नीचे बैठकर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. बोधि वृक्ष का अर्थ ज्ञान देने वाला वृक्ष होता है. यह वृक्ष बिहार के बोध गया में महाबोधि मंदिर परिसर में लगा एक पीपल का पेड़ है. इस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ऐसा भी कहा जाता है कि इस पेड़ को 2 बार नष्ट करने की कोशिश की गई थी लेकिन हर बार यह पेड़ किसी चमत्कार की तरह वापस उग आता है.
बोधि वृक्ष को नष्ट करने का किया गया था प्रयास
बोधि वृक्ष को नष्ट करने का पहली बार प्रयास ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में किया गया था. यूं तो सम्राट अशोक बौद्ध अनुयायी थे पर माना जाता है पर उनकी एक रानी तिष्यरक्षिता ने चोरी-छुपे वृक्ष को कटवा दिया था. इस समय सम्राट अशोक यात्रा के लिए गए हुए थे. हालांकि उनकी रानी का यह प्रयास सफल नहीं हुआ था. उसके बाद वहां पेड़ दोबारा उग आया जिसे दूसरी पीढ़ी का वृक्ष माना जाता है.
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बोधि पेड़ को दोबारा
दूसरी बार बोधि वृक्ष को नष्ट करने का प्रयास सातवीं शताब्दी में बंगाल के राजा शशांक द्वारा किया गया था. उन्हें बौद्ध धर्म का कट्टर दुश्मन माना जाता है. राजा शशांक ने बोधि वृक्ष को पूरी तरह नष्ट करके उसे जड़ उखाड़ने की कोशिश की थी. जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने वृक्ष कटवाने की भी कोशिश की लेकिन इसके बावजूद भी वृक्ष फिर उग आया.
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भोपाल में भी है बोधि पेड़ की शाखा
बोधि वृक्ष की एक और शाखा है जो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर है. 2012 में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भारत के दौरे के दौरान यह पेड़ लगाया था. ऐसा भी कहा जाता है कि इस पेड़ की सुरक्षा में 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है. कुछ लोगों का कहना है कि इस पेड़ की सुरक्षा के लिए हर साल 12 से 15 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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