डीएनए हिंदी : गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु ज़िले के लुम्बिनी प्रदेश में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय शाक्य कुलीन राजा शुद्धोधन के घर बतौर 'सिद्धार्थ' हुआ था. महामाया उनकी मां थीं. महामाया की मौत सिद्धार्थ के पैदा होने के सात दिनों के अंदर हो गई थी और फिर उनका लालन पालन उनकी मौसी गौतमी ने किया था. इस वजह से सिद्धार्थ को गौतम का नाम भी मिला.
Buddha Purnima 2022 : सिद्धार्थ के रूप में शुरूआती जीवन
सिद्धार्थ के गुरु विश्वामित्र माने जाते हैं. उन्होंने वेद और उपनिषद का ज्ञान विश्वामित्र से लिया और साथ ही राज-काज चलाने के गुणों की भी दीक्षा उनके ही आश्रम में प्राप्त की. प्रजा परायण युवराज सिद्धार्थ का विवाह 16 साल की उम्र में यशोधरा के साथ हुआ. विवाह के 13 सालों बाद उन्हें संतान प्राप्ति हुई और उसी दिन 29 साल के सिद्धार्थ ने ज्ञान की तलाश में गृह का त्याग कर दिया.
सिद्धार्थ का बुद्ध बनना
घर छोड़ने के बाद सालों सिद्धार्थ ज्ञान की तलाश में इधर-उधर भटकते रहे. इस क्रम में उनका पहला पड़ाव राजगृह रहा था. आलार कलाम उनके पहले गुरु थे जिन्होंने उन्हें संन्यास की दीक्षा दी. गौतम ने उनसे दीक्षा लेने के बाद बोधगया में निवास किया, वहां उन्हें 35 साल की उम्र में एक रात अचानक बोध अर्थात ज्ञान की प्राप्ति हुई. जिस पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें ज्ञान मिला वह बोधि वृक्ष कहलाया और वह प्रदेश बोधगया के नाम से जाना गया. स्वयं गौतम बुद्ध(Buddha Purnima 2022) हुए. बुद्ध का अर्थ होता जिसे 'बोध' हो. माना जाता है कि सुजाता के आशीर्वाद से उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी.
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गौतम बुद्ध के उपदेश
बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया है, इसमें उन्होंने दुःख, कारण के साथ-साथ निवारण के अष्टांगिक मार्ग बताए. बुद्ध ने अहिंसा को बेहद आवश्यक स्थान दिया है. उनके उपदेश क्रमशः यह रहे -
- ध्यान तथा अन्तर्दृष्टि
- मध्यमार्ग का अनुसरण
- चार आर्य सत्य
- अष्टांग मार्ग
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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