डीएनए हिंदी: कल यानि 3 मई मंगलवार को देशभर में अक्षय तृतीया ( Akshay Tritiya 2022 ) पर्व मनाया जाएगा. मान्यता अनुसार यह दिन शुभ काम करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इस दिन किए गए काम सफल होते हैं और उन कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और विधि-विधान से की गई पूजा से भक्त कई तरह के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
इस दिन हुई थी सतयुग की शुरुआत
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया ( Akshay Tritiya ) के दिन ही भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था. इसके साथ यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि पहले युग सतयुग का प्रारंभ भी इसी दिन हुआ था.आइए जानते हैं कि अक्षय तृतीया को किन-किन कारणों से जाना जाता है.
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शस्त्रों के अनुसार द्वापर युग का समापन और त्रेतायुग का प्रारंभ अक्षय तृतीया तिथि पर ही हुआ था.
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भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण व हयग्रीव इसी तिथि को हुए थे.
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महाभारत ग्रन्थ का लेखन कार्य महर्षि वेद व्यास व भगवान गणेश द्वारा अक्षय तृतीया को ही प्रारंभ किया गया था.
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इस दिन महाभारत काल का समापन भी हुआ था ऐसी मान्यता है.
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इस तिथि पर ही मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ था.
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श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट भी इसी तिथि को भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं.
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अक्षय तृतीय ही वह दिन है जब वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में 'भगवान के चरणों के साल में एक बार दर्शन हो पाते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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अक्षय तृतीया 2022
Akshay Tritiya 2022 : इस दिन हुई थी सतयुग की शुरुआत