क्या कहता है पहला मन्त्र?

"तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!.

सप्तपदी के पहले मन्त्र में कन्या अपने पहले वचन में वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना. कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कर्म का कोई कार्य करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

सातवें वचन की बात

सप्तपदी के सातों वचन में पति पत्नी सात पग साथ चलते हैं और हर पग से पहले मन्त्रों के जरिये वचनों का आदान प्रदान होता है.यूँ तो सप्तपदी के पहले छः मन्त्रों में ही वो सारे वचन होते हैं तो एक गृहस्थ आश्रम के जीवन को सुखी बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, किंतु मुझे तो सबसे अच्छा सातवें मन्त्र के पहले वाला वक्तव्य लगता है,जब पति अपनी प्रिया का हाथ पकड़ कर सातवें  पग के अनुनय में कहते हैं -

"ओ सखा सप्तपदी भवः."

सात पग उठा लिए अब हम आपस में सखा हैं, मित्र हैं.

और आज जब सो कॉल्ड मॉडर्न दाम्पत्य में समानता की बात करते हैं मुझे अपने हिन्दू विवाह का वो मन्त्र याद आता है ,जब वर वधु मण्डप में कहते हैं.

क्या यह समानता नहीं?

"ओं स्मयजंतु विश्वेदेवाः समापो हृदयानि नौ"

हम दोनों जो आप सब विद्वान लोगो के समक्ष विवाह करने को प्रस्तुत हुए हैं, हमारे हृदय इस प्रकार मिले हैं जैसे कि दो पानी मिलकर एक स्वरूप हो जाते हैं.

अब आप ही बताइए न! क्या इन उपरोक्त मन्त्रों से दाम्पत्य में पति पत्नी का  स्थान वर्णित नही होता? इससे अधिक समानता और क्या हो सकती है.हमारा हिन्दू धर्म हर किसी को समानता का अधिकार देता है.उसे जानने समझने वाले ही सनातनी हो सकते हैं ,बाकी तो जे है से हइये है.

(विजया. एस. कुमार की फ़ेसबुक वॉल से.)

(यहाँ दिये गये विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

Url Title
what does 7 promises of Hindu marriage say
Short Title
पति-पत्नी के समान होने की बातें करते हैं सप्तपदी के मन्त्र
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
hindu marriage
Date updated
Date published