डीएनए हिंदी. भगवद् गीता के अनुसार श्रीकृष्ण ने दस साल की उम्र में मथुरा छोड़ दिया था. इसके बाद वह कभी वृंदावन लौट कर नहीं आए. इसके बाद उनके जीवन में जो कुछ हुआ, उससे जुड़ी कई घटनाएं मशहूर हैं. इन्हीं में से एक प्रचलित बात ये है कि श्रीकृष्ण की 16 हजार 108 रानियां थीं. पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां थी- रुक्मणि, सत्यभामा, जाम्बवति, नग्नजिति, कालिंदी, मित्रविंदा, भद्रा और लक्ष्मणा.
ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि फिर श्रीकृष्ण की 16, 108 रानियों की बात क्यों प्रचलित है?
इससे जुड़ा एक प्रसंग बताया जाता है. दरअसल द्वापर युग में नरकासुर नाम के एक राक्षस ने अमर होने के लिए 16,100 कन्याओं की बलि देने का संकल्प लिया और उनका अपहरण कर लिया. नरकासुर के अत्याचार से देवतागण भी काफी परेशान थे. ऐसे में जब श्रीकृष्ण के सामने ये समस्या रखी गई तो उन्होंने नरकासुर को सबक सिखाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाकर नरकासुर से युद्ध लड़ा और उसका वध किया. इसके बाद सभी कन्याओं को नरकासुर के जाल से मुक्त कराया गया.
पुराणों में बताया गया है कि कारावास से मुक्त होने के बाद ये कन्याएं जब अपने घर-परिवार के पास पहुंचीं तो उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया गया. समाज में भी उन्हें कई तरह के ताने दिए जाने लगे. इस सबसे आहत होकर ये कन्याएं अपनी जीवन लीला समाप्त करने ही जा रही थीं. ऐसे में श्रीकृष्ण ने उनका जीवन और सम्मान बचाने के लिए उनके साथ विवाह किया. तभी से ये कहा जाने लगा कि श्रीकृष्ण की 16, 108 रानियां हैं.
हालांकि सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण हमेशा अपने आस-पास के लोगों के कल्याण को लेकर काम करते थे. फिर चाहे बचपन में की गईं उनकी लीलाएं हों या बड़े होकर किया गया उनका अपने सखा अर्जुन और द्रोपदी का मार्गदर्शन.
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