What is Supermoon: 'चंदा मामा' बचपन से ही हमारे लिए जिज्ञासा का विषय रहा है. चांद पर इंसान कई बार जा चुका है, लेकिन आज भी यह हमारे लिए रहस्यमयी ही बना हुआ है. चांद का हम पर कितना असर है, इसका अंदाजा ज्योतिष शास्त्र से लेकर विज्ञान तक में इसके बदलते हुए स्वरूपों से लेकर इसकी स्थिति तक को मिलने वाली अहमियत से लग जाता है. चांद को लेकर आपने अलग-अलग तरह के कई शब्द सुने होंगे, जिनमें ब्लू मून, रेड मून, सुपरमून, पिंक मून, स्ट्रॉबेरी मून, वुल्फ मून आदि मशहूर हैं. सुपरमून को लेकर सबसे ज्यादा जिज्ञासा रहती है, क्योंकि इस दिन चांद धरती के बेहद करीब होता है और ऐसा लगता है कि हम हाथ बढ़ाकर उसे छू लेंगे. अब एक बार फिर सुपरमून आने जा रहा है, जो साल 2024 का आखिरी सुपरमून (Supermoon 2024) होगा. खास बात ये है कि इस बार सुपरमून अपनी बहनों यानी Sevan Sisters को भी साथ लेकर आ रहा है, जो इस नजारे को बेहद दुर्लभ बना देगा. यह स्थिति कब होने वाली है और कहां पर इसे देखा जा सकता है. चलिए ये सब बातें हम बताते हैं.
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What is Supermoon: 'चंदा मामा' बचपन से ही हमारे लिए जिज्ञासा का विषय रहा है. चांद पर इंसान कई बार जा चुका है, लेकिन आज भी यह हमारे लिए रहस्यमयी ही बना हुआ है. चांद का हम पर कितना असर है, इसका अंदाजा ज्योतिष शास्त्र से लेकर विज्ञान तक में इसके बदलते हुए स्वरूपों से लेकर इसकी स्थिति तक को मिलने वाली अहमियत से लग जाता है. चांद को लेकर आपने अलग-अलग तरह के कई शब्द सुने होंगे, जिनमें ब्लू मून, रेड मून, सुपरमून, पिंक मून, स्ट्रॉबेरी मून, वुल्फ मून आदि मशहूर हैं. सुपरमून को लेकर सबसे ज्यादा जिज्ञासा रहती है, क्योंकि इस दिन चांद धरती के बेहद करीब होता है और ऐसा लगता है कि हम हाथ बढ़ाकर उसे छू लेंगे. अब एक बार फिर सुपरमून आने जा रहा है, जो साल 2024 का आखिरी सुपरमून (Supermoon 2024) होगा. खास बात ये है कि इस बार सुपरमून अपनी बहनों यानी Sevan Sisters को भी साथ लेकर आ रहा है, जो इस नजारे को बेहद दुर्लभ बना देगा. यह स्थिति कब होने वाली है और कहां पर इसे देखा जा सकता है. चलिए ये सब बातें हम बताते हैं.
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यदि पूर्णिमा के समय यानी Full Moon के दिन चंद्रमा अपनी अंडाकार कक्षा में Perigee पर होता है. Perigee वो पॉइंट होता है, जिसमें चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाते-लगाते उसके सबसे करीब तक पहुंच जाता है. पूर्णिमा और पेरीगी के इस संयोग के दिन दिखने वाले चंद्रमा को सुपरमून (What is Supermoon) कहते हैं. इस स्थिति में चंद्रमा किसी भी दूसरी रात के मुकाबले पृथ्वी से देखने पर ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. सुपरमून के विपरीत स्थिति में जब चंद्रमा अपनी कक्षा में घूमते हुए पृथ्वी से सबसे दूर के बिंदु पर पहुंच जाता है, तो उस पॉइंट को अपोजी सिजीगी कहते हैं. इस दिन दिखने वाले चांद को Micromoon कहा जाता है.
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एक साल में सुपरमून जैसी स्थिति 3 से 4 बार बन सकती है. इस बार 15 नवंबर और 16 नवंबर की दरम्यानी रात को सुपरमून की स्थिति बनेगी, जो साल 2024 का फाइनल सुपरमून होगा यानी दिसंबर में सुपरमून दिखने के कोई आसार नहीं हैं. नॉर्थ अमेरिकी ट्रेडिशंस में नवंबर में दिखने वाले सुपरमून को Beaver Moon भी कहा जाता है.
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साल 2024 का आखिरी सुपरमून 15 नवंबर और 16 नवंबर की दरम्यानी रात को भारतीय समयानुसार सुबह 2.58 बजे दिखाई देना शुरू होगा. हालांकि भारत में रहने वाले लोगों को इसका सबसे बढ़िया नजारा 16 नवंबर की शाम को तब दिखेगा, जब सूरज डूबने के बाद चांद उगना शुरू करता है. चांद उगने के समय 20-30 मिनट तक सुपरमून आपको सबसे चमकीला और अपने घर के आंगन में बैठा हुआ महसूस होगा.
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साल 2024 में चार बार सुपरमून की स्थिति बनी है. 15-16 नवंबर को साल 2024 का आखिरी सुपरमून दिखेगा. इससे पहले 19 अगस्त को, 18 सितंबर को और फिर 17 अक्टूबर को सुपरमून दिखाई दिया था.
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17 अक्टूबर को दिखे आखिरी सुपरमून में चांद साल 2024 में धरती के सबसे करीब तक पहुंचा था. 19 अगस्त को चांद धरती से 361,969 किलोमीटर पर, 18 सितंबर को 357,485 किलोमीटर पर, 17 अक्टूबर को 357,363 किलोमीटर पर दिखा था. अब 15 नवंबर को चंदा मामा की धरती से दूरी 361,866 किलोमीटर रहेगी.
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साल 2024 का आखिरी सुपरमून एक कारण से बेहद खास भी होगा. दरअसल इस दिन चंदा मामा के साथ आपको Pleiades Star Cluster का काफिला भी देखने को मिलेगा, जिसे आमतौर पर Seven Sisters कहकर पुकारा जाता है. 15 नवंबर को Seven Sisters चांद के निचले बाएं किनारे पर दिखेंगी, जबकि 16 नवंबर को चांद के उगते समय ये उसके दाएं ऊपरी किनारे पर होंगी. वैसे तो ये नजारा आपको सामान्य आंखों से भी दिखाई देगा, लेकिन दूरबीन या टेलीस्कोप के जरिये देखने पर इस नजारे का आप असली लुत्फ ले सकते हैं.
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यह माना जाता है कि सुपरमून के दौरान चांद का आकार अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखता है. माना जाता है कि इस दिन चांद अन्य दिनों के मुकाबले 14% ज्यादा बड़ा दिखता है, जबकि उसकी चमक करीब 30% तक ज्यादा होती है. यह फर्क आप नंगी आंखों से भी महसूस कर सकते हैं.
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कई देशों में यह मिथक है कि सुपरमून के दिन भले ही चांद बेहद खूबसूरत लगता है, लेकिन इस दिन यह धरती के लिए खतरनाक होता है. माना जाता है कि सुपरमून के दिन अन्य दिनों के मुकाबले ज्वालामुखी ज्यादा फटते हैं और भूकंप आने के खतरे बढ़ जाते हैं. हालांकि अब तक किसी भी साइंस रिसर्च में यह बात पुख्तातौर पर साबित नहीं हो पाई है.
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इस बार सुपरमून में 'बहनों' संग दिखेंगे 'चंदा मामा', जानें कब और कहां देख पाएंगे?