डीएनए हिंदी: असल में अब कंपनियों की ओर से दी जाने वाली फ्री सैंपल दवाओं या उपहार पर टैक्स फ्री लिमिट लागू हो गई है. इसी को लेकर दवा कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से गुहार लगाई है. दवा कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से मांग की है कि सरकार फ्री सैंपल को टीडीएस मुक्त करे.
दरअसल इस साल के बजट में सरकार ने सेक्शन 194 R का प्रावधान किया था जिसमें ये कहा गया था कि बीस हजार रु से अधिक कैश या कैश के अलावा कोई कूपन, गिफ्ट आदि किसी भी बिजनेस चलाने वाले या प्रोफेशनल को दिया गया तो उस पर दस फीसदी टैक्स काटना होगा.
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दवा कंपनियों की दलील है कि फ्री सैंपल के लिए ये सीमा काफी कम है क्योंकि कई बार एक ही कंपनी की अलग अलग दवाएं होती हैं जिसे वो डॉक्टर्स को देते हैं. डॉक्टर अक्सर फ्री सैंपल की दवाएं उन्हें देते हैं जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं.
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यही नहीं, दवा कंपनियों की ये भी दलील भी है कि टैक्स काटना और उसके बाद फ्री सैंपल में दी गई दवाओं का कंप्लायंस के लिए रिकॉर्ड मेंटेन करना आसान नहीं है. दरअसल डॉक्टर्स को दिए जाने वाले महंगे गिफ्ट, ट्रिप और सुविधाओं को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. दवा कंपनियां डॉक्टरों को दी जाने वाले गिफ्ट को अपने बिजनेस को बढ़ाने के खर्च के तौर पर दिखाती रही थी, जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत डॉक्टर्स के लिए किसी भी दवा या प्रोडक्ट के प्रोमोशन के लिए किसी भी तरह का गिफ्ट लेने की मनाही थी.
कंपनियों और डॉक्टरों पर हमेशा से ही ये आरोप लगता रहा है कि जो डॉक्टर उन कंपनियों की दवाएं ज्यादा लिखते हैं जहां से उन्हें ज्यादा गिफ्ट, इंसेटिव या किसी और तरह के लाभ मिलते हैं. इसी को रोकने के लिए इस साल के बजट में नया सेक्शन 194 R लाया गया था और 1 जुलाई 2022 से लागू कर दिया गया है.
हालांकि इस में एक छूट का प्रावधान भी है. वो ये कि अगर फ्री सैंपल वाली दवाएं सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स को बांटी जाती हैं तो उन पर टैक्स काटने की शर्त लागू नहीं होगी. इस नए सेक्शन के दायरे में बिक्री बढ़ाने, टारगेट हिसाल करने पर डीलर्स आदि को दिए जाने वाले उपहार जैसे कि टीवी, फ्रिज, एसी, कार, फ्री हॉलिडे ट्रिप, फ्री इंश्योरेंस कवरेज, फ्री टिकट, कैश वाउचर या कैश आदि पर भी टैक्स काटना जरूरी कर दिया गया है.
Brajesh Kumar की रिपोर्ट
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सैंपल दवाओं पर काटेगा टीडीएस, डॉक्टरों के Free Trip और Gift पर भी टैक्स