डीएनए हिन्दी : समय-समय पर भारतीय भूभाग को एकीकृत करने का काम भिन्न वंशों ने किया. मौर्य वंश के बाद गुप्त वंश ने भारत के बड़े हिस्से को अपने राज्य में शामिल किया किन्तु गुप्त वंश के बिखरने के बाद पूरा प्रदेश छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया, जिनमें अक्सर एक-दूसरे पर जीत हासिल करने की होड़ मची हुई रहती थी.
उत्तर भारत के राजा हर्षवर्धन
ऐसे ही समय में थाणेसर (आधुनिक हरियाणा) की सत्ता हर्षवर्धन के जिम्मे आयी और उन्होंने कश्मीर, मगध, सहित जालंधर और नेपाल तक अपने राज्य की सीमा क विस्तार किया. हर्षवर्धन को वास्तविक मायनों में आधुनिक राजा माना जाता था जिन्होंने अपने शासन काल में नागरिक विकास पर विशेष ज़ोर दिया. पांच सौ नब्बे ईस्वी में बड़े भाई राज्यवर्धन की हत्या के बाद 16 बरस की उम्र में गद्दी पर आरूढ़ होने वाले हर्षवर्धन ने क़रीब 41 सालों तक सत्ता की बागडोर संभाली.
चीन से सम्बन्ध और ह्वेनसांग की किताब
हर्षवर्धन कूटनीति के प्रबल समर्थक थे. उनकी नीतियों में आक्रमण के ज़रिये विजय के अतिरिक्त नज़दीकी देशों से बेहतर सम्बन्ध बनाना भी शामिल था. हर्षवर्धन के चीन के साथ रिश्ते बेहद मधुर थे. उनके शासन काल में ही प्रसिद्द चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भारत का दौरा किया था. उन्होंने प्रखर रूप से अपनी पुस्तक सी-यू-की में हर्षवर्धन का ज़िक्र किया है. उन्होंने ज़िक्र में भारत की तात्कालिक सामाजिक-प्रशासनिक अवस्था का ब्यौरा देने के साथ-साथ यह भी बताया है कि उनकी सेना में एक लाख से अधिक सैनिक थे और हाथियों की संख्या साठ हज़ार से अधिक थी.
हर्षवर्धन का पुस्तक प्रेम और बाणभट्ट की हर्ष चरित
हर्षवर्धन के विषय में ख्यात है कि वे अपने दरबार में न केवल कला और संस्कृति को बढ़ावा देते थे बल्कि स्वयं लेखन में रूचि भी लेते थे. उस वक़्त के प्रसिद्द कवि बाण उनके प्रिय मित्र थे. बाण भट्ट ने उनकी जीवनी भी लिखी है जिसे हर्षचरित्र के नाम से जाना जाता है. हर्षवर्धन की अपनी लिखी तीन किताबें भी हैं- इन किताबों के नाम क्रमशः प्रियदर्शिका, रत्नावली और नागानंद हैं.
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