डीएनए हिन्दी: फर्ज कीजिये आप कोई वीडियो गेम खेल रहे हैं. लगातार आपके पॉइंट्स कम हो रहे हों. अचानक आपको कोई चिटकोड मिल जाए. आप दनादन स्कोर करें और गेम जीत लें. ऐसा क्या असल ज़िन्दगी में होता है या हो सकता है? जी हां! ऐसा हुआ है. एलेन ट्यूरिंग के एक आविष्कार ने दूसरे विश्व युद्ध में यही कमाल किया था. मित्र राष्ट्रों की सेना यानि अलाइड फोर्सेज के लिए हिटलर की नाजी सेना पर जीत हासिल करना मुश्किल होता जा रहा था. इसमें जर्मनी की नेवी का डर सबसे अधिक था, तब तक इंग्लैंड के ट्यूरिंग ने एक ऐसा अविष्कार किया जिसने जर्मन नेवी के कोड को क्रैक कर लिया.

क्या था वह अविष्कार?

यह अविष्कार आज के कंप्यूटर का सबसे प्रारंभिक रूप था. एलेन के कंप्यूटर ने इस वक़्त के बज़ वर्ड ‘आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस’ का प्रारंभिक रूप भी ज़ाहिर किया था. यह आज के लैपटॉप जितना नन्हा-मुन्हा या कुछ साल पहले कंप्यूटर जितना केवल एक टेबल पर समा जाने लायक़ नहीं था. यह विशाल था और एक लंबे टेप के सहारे चलता था. इस टेप पर वे सारे सिंबल बने हुए थे जिनके इंस्ट्रक्शन कंप्यूटर में फीड किये जाने थे. इस विशालकाय मशीन को ‘यूनिवर्सल ट्यूरिंग मशीन’ का नाम दिया गया.

कैसे जर्मन नेवी के कोड को ब्रेक किया मशीन ने

जर्मन नेवी ने  एनिग्मा साइफर मशीन के एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल किया था. इसकी मदद से जर्मन सेना अपनी लोकेशन को बिना ज़ाहिर किये एक दूसरे को सन्देश भेजा करती थी, यह उन्हें और भी ख़तरनाक बना रहा था. ट्यूरिंग की मशीन ने इस कोड को ब्रेक करने का ज़रूरी काम किया था जिसने युद्ध में तत्काल ही मित्र राष्ट्रों को बेहतर स्थिति में ला दिया. इस मशीन की सबसे ख़ास बात मानवीय क्षमता से आगे की गणना करने पाने के क़ाबिल होना था.

इस युद्ध के बाद भी कंप्यूटर की दुनिया में ट्यूरिंग अपने प्रयोग करते गए. उन्हें आधुनिक कंप्यूटर साइंस का पिता भी कहा जाता है. संक्षेप में, हिटलर शायद दूसरा विश्व युद्ध जीत जाता अगर ट्यूरिंग का अविष्कार नहीं होता!

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Hitler lost second world war because of invention of computer
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इस वजह से हिटलर दूसरा विश्व युद्ध हार गया था
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Alan Turing, first computer, computer, artificial intelligence
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