डीएनए हिंदी : जर्मन वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट कोच ने 1910 में कहा था कि एक दिन इंसान के लिए शोर किसी भी अन्य बीमारी से बड़ी महामारी बन जाएगा. इन दिनों शोर यानी ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) एक महामारी बन चुका है. कई शोध हो चुके हैं जिनसे साबित होता है कि लगातार होने वाला ध्वनि प्रदूषण हार्ट अटैक के साथ-साथ हाई बीपी भी दे सकता है. यह दिल और दिमाग की नसों में सूजन पैदा कर सकता है और सुनने की क्षमता काफी घटा सकता है. यह डर दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के Runway 29 – 11 से भी जुड़ा है. आइए जानते हैं कैसे?
दिल्ली के पॉश इलाके के लोग लड़ रहे हैं जहाज के शोर से
दिल्ली के पॉश इलाके वसंत कुंज में रहने वाले लोग हवाई जहाज के शोर से लड़ रहे हैं. वास्तव में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे 29-11 पर लैंड करने वाले हवाई जहाज़ वसंत कुंज के सबसे पास से गुजरते हैं. यहां हर दो मिनट पर शोर होता है. इस शोर की वजह से लोग लगातार परेशान हैं. यहां के लोग लगातार घरों को साउंड प्रूफ (Noise Pollution) करवाने और शोर से निजात पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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सड़क के किनारे रहने वाले लोग झेलते हैं अधिक
Central Road Research Institute की एक रिसर्च के अनुसार वे लोग जो सड़क के किनारे बने घरों में रहते हैं उनके लिए चैन से सोना मुश्किल होता है. सड़क के किनारे रहने वाले लोग लगातार 60 डेसीबल की आवाज़ सुनते हैं. यह नींद ना आने और चिड़चिड़ेपन का कारण बनता है. इसमें ट्रैफिक के साथ विमान का शोर भी जोड़ दिया जाए तो शोर का अंदाज़ा हो सकता है.
Indian Medical Association के मुताबिक 80 डेसीबल से ज्यादा की आवाज ना सिर्फ कानों को नुकसान पहुंचाती है बल्कि इसका पूरे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. ज्यादा ऊंची आवाज से दिल के दौड़े और ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है.
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रात में होने वाला शोर, बुजुर्गों और छोटे बच्चों की नींद को प्रभावित करता है. यह तनाव भी बढ़ाता है. WHO के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) के कारण भारत में करीब 6 करोड़ 30 लाख लोगों की सुनने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो चुकी है. एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग ने 2016 में वसंत कुंज के निवासियों पर एक स्टडी की थी. वसंत कुंज में 3,000 मरीजों के ब्लड सैंपल की जांच में 63 फीसदी लोगों में हाई बीपी पाया गया. 17 फीसदी लोगों में डायबिटीज, 28 फीसदी में हाई कोलेस्ट्रॉल, 46 फीसदी में बैड कोलेस्ट्रॉल देखा गया.
कब एक आवाज शोर में तब्दील हो जाती है
ध्वनि प्रदूषण को मापने का पैमाना डेसीबल होता है. एक सामान्य व्यक्ति ज़ीरो डेसीबल तक की आवाज भी सुन सकता है. पेड़ के पत्तों की सरसराहट 20 डेसीबल होती है. सामान्य घरेलू बातचीत की इंटेसिटी 30 से 50 डेसीबल होती है. बाइक आवाज़ 80 डेसीबल का शोर पैदा करता है. पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक रिहायशी इलाकों में दिन के समय शोर 55 डेसीबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए जबकि रात में इसकी सीमा 45 डेसीबल तय की गई है.
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दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इस रनवे के पास रहने वाले हो रहे दिल के रोग के शिकार