भारत में महिलाओं और पुरुषों के बीच सामाजिक अंतर खत्म हो रहा है या कहें कि देश यह समाप्त हो चुका है. कई क्षेत्रों में यह अंतर बिल्कुल समाप्त हो चुका है. महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल (Women Empowerment) रही हैं. कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जिसमें सिर्फ पुरुष ही काम किया करते थे लेकिन अब महिलाएं यहां आगे आ रही है. चलिए आपको ऐसी ही महिलाओं की कुछ स्टोरी (Women Success Story) के बारे में बताते हैं जो इस बात की गवाही देती हैं कि महिलाएं अब हर फिल्ड में आगे बढ़ रही हैं.

पोस्टमॉर्टम असिस्टेंट बनी आंध्र प्रदेश की पगडाला वरालू (Pagdala Varalu)
मेडिकल के क्षेत्रों में महिलाएं काफी आगे निकल चुकी हैं. डॉक्टर से लेकर सर्जन तक महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दे रही हैं. लेकिन एक ऐसा काम है जिसे सिर्फ पुरुषों का काम ही समझा जाता है अब वहां भी आंध्र प्रदेश की पगडाला वरालू काम कर रही हैं. पगडाला वरालू पोस्टमॉर्टम असिस्टेंट के तौर पर काम कर रही हैं.


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पोस्टमॉर्टम असिस्टेंट पगडाला वरालू (Pagdala Varalu Working in Mortuary)
पगडाला वरालू लाशों के बीच पोस्टमॉर्टम करने का काम करती हैं. उनका कहना है कि ' पहले मैं डाटा एंट्री का काम करती थीं. शादी के बाद मैंने मुर्दा घर में पोस्टमॉर्टम असिस्टेंट की नौकरी के लिए आवेदन दिया. मुझे लगा कि लड़की हूँ तो ऑफिस का कुछ काम देंगे. लेकिन उन्होंने कहा तुम्हें पोस्टमॉर्टम काम करना होगा. पगडाला वरालू कहती हैं कि पहले लोग उन्हें इस काम को लेकर जज करते थे. लेकिन वह इस सबकी परवाह नहीं करती हैं. उनके परिवार के लोग भी उनका समर्थन करते हैं.

पहली महिला फाइटर जेट पायलट (Avani Chaturvedi)
भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी शुरू में कम थी लेकिन अब अधिक संख्या में महिलाएं सेना में शामिल हो रही हैं. अवनी चतुर्वेदी भारत की पहली महिला फाइटर जेट पायलट हैं. इंडियन एयरफोर्स में पायलट पुरुष ही थे. अवनी चतुर्वेदी इंडियन एयरफोर्स की पहली लड़ाकू विमान पायलट रही हैं.

एयरफोर्स का विमान अकेले उड़ाने वाली महिला (Harita Kaur)
सेना में पुरुषों ही अधिक होते हैं अब महिलाएं भी सेना में खूब आगे तक जाती हैं. भारतीय सेना की हरिता कौर ने वायुसेना के विमान को अकेले उड़ाया था. वह अकेले उड़ान भरने वाली पहली महिला पायलट हैं. हरिता कौर की दिलचस्पी शुरू से ही भारतीय वायुसेना में थी. हरिता कौर ने 2 सितंबर 1994 को 22 साल की उम्र में बिना को पायलट के विमान उड़ाया था.

महिला टैक्सी ड्राइवर रेखा पांडे (Rekha Pandey)
टैक्सी चलाने जैसे काम को सिर्फ पुरुषों से संबंधित माना जाता है. इस क्षेत्र में भी महिलाएं आगे आ रही है. उत्तराखंड रानीखेत के सुदामापुरी की रहने वाली रेखा पांडे वहां की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर बनी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने यह फैसला खुद से लिया है. उनके इस काम को करने से अन्य महिलाओं की भी राह आसान होगी.

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समाज के बंधनों को तोड़ हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ काम कर रही हैं महिलाएं
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