देव दिवाली दिवाली कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसलिए, देव दिवाली का त्योहार भूत पर भगवान शिव की जीत के रूप में मनाया जाता है. इसके साथ ही यह त्योहार शिव पुत्र भगवान कार्तिक की जयंती भी है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हिंदू देवता जीत का जश्न मनाने के लिए स्वर्ग से आते हैं.
इस साल कब है भगवान दिवाली?
हिंदू पचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर शुक्रवार को सुबह 6.19 बजे से 16 नवंबर को दोपहर 2.57 बजे तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है और इस दिन देव दिवाली मनाई जाती है.
इस बार देव दिवाली पर भद्रा का साया
ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा या देव दिवाली पर भद्रा का प्रभाव रहने वाला है. ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल और भद्रा को शुभ कार्य करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है. भद्रा सुबह 6.43 बजे से शाम 4.37 बजे तक रहेगी. राहु काल सुबह 10.44 बजे से दोपहर 12.05 बजे तक रहेगा.
भगवान दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त
देव दिवाली का प्रदोष काल मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 05:10 बजे से शाम 07:47 बजे तक रहेगा. पूजा की कुल अवधि 02 घंटे 37 मिनट होगी.
देव दिवाली पूजा अनुष्ठान
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. यदि संभव हो तो गंगा स्नान करें. इसके बाद सुबह घी या तिल का दीपक अर्पित करना चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा करें. विष्णु चालीसा और श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. कार्तिक पूर्णिमा के दिन अन्न या खाद्य सामग्री का दान करें.
दिवाली की रोशनी का महत्व
देव दिवाली पर दीपदान का महत्व यह है कि इस दिन को देवी-देवताओं की दिवाली माना जाता है. देव दिवाली में दीपदान की विधि और महत्व है. देव दिवाली के दिन प्रदोष काल में 11, 21, 51 और 108 पीठ वाले दीपक जलाए जाते हैं. इसके बाद सभी देवी-देवताओं के स्मरण में जलाए गए दीपक में कुंकु, हल्दी, अक्षत और पुष्प अर्पित करना चाहिए. शाम के समय नदी में दीपक जलाना पवित्र और शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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आखिर कब है देव दीपावली 15 या 16 नवंबर? कार्तिक पूर्णिमा पर छा रहा भद्रा का साया