हर महिला मां बनना चाहती है. माँ बनना एक महिला का एक खूबसूरत सपना होता है. महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म होता है. अगर हर महीने मासिक धर्म बंद हो जाए तो उन्हें पता चल जाएगा कि वे गर्भवती हैं. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. नहीं तो बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ेगा. इसलिए महिलाओं को अपने बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए अपने खान-पान और काम का भी ध्यान रखना होगा. हर जगह, अपनी इच्छानुसार घूमने का कोई तरीका नहीं है. चलते-फिरते और बैठते समय बहुत सावधान रहें. तभी आप एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं.
गर्भावस्था के तीन चरण
डॉक्टरों के मुताबिक गर्भावस्था को तीन चरणों में बांटा गया है. पहले 12 सप्ताह को गर्भावस्था के पहले चरण में, 12 से 28 सप्ताह को गर्भावस्था के दूसरे चरण में और 28 से 40 सप्ताह को गर्भावस्था के तीसरे चरण में विभाजित किया गया है. इसके जरिए गर्भावस्था में आने वाली समस्याओं के बारे में बताया जाता है. डॉक्टरों ने बताया है कि किस स्टेज पर क्या दिक्कतें आती हैं और उस वक्त महिलाओं को कितनी सावधानी बरतनी चाहिए.
आराम ही काफी है
20 से 30 प्रतिशत महिलाओं को पहले 3 महीनों में हल्की ब्लीडिंग का अनुभव होता है. इसका कारण यह है कि 6-7 सप्ताह के करीब बढ़ता हुआ भ्रूण गर्भाशय से जुड़ जाता है. इसके कारण मामूली रक्तस्राव हो सकता है. इसे 'इन प्लांटेशन ब्लीडिंग' कहा जाता है. इसमें किसी भी प्रकार के उपचार या दवा की आवश्यकता नहीं होती है. थोड़ा आराम पाने के लिए यह काफी है.
भारी रक्तस्राव
लेकिन कुछ महिलाओं को थोड़ा भारी रक्तस्राव का अनुभव हो सकता है. इसे 'थ्रेटेंड मिस कैरिज' कहा जाता है. इसका मतलब है कि गर्भपात के लक्षण तो हैं लेकिन गर्भपात नहीं. गर्भाशय ग्रीवा बंद है, बच्चे का विकास सामान्य है और बच्चे की दिल की धड़कन भी सामान्य है. लेकिन गर्भाशय के अंदर थोड़ी मात्रा में रक्तस्राव होता है. इसे 'सबकोरियोनिक हेमरेज' कहा जाता है. इस समय आंतरिक रक्तस्राव बाहर आ सकता है.
गर्भपात की सम्भावना रहती है
कुछ लोगों में यह रक्तस्राव भारी हो सकता है. ऐसी समस्या होने पर उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर इसके लिए हार्मोनल इंजेक्शन या दवाइयां देते हैं. इसके अलावा शिशु के विकास, दिल की धड़कन क्या है, गर्भाशय के अंदर रक्तस्राव की मात्रा को स्कैन किया जाता है और उसके अनुसार सुझाव दिए जाते हैं.
जिन लोगों को ऐसी समस्या है उन्हें आराम करना चाहिए. यात्रा, कड़ी मेहनत वाले काम, भारी सामान उठाने से बचना चाहिए. साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह और सही समय पर दवा लेने से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है. अन्यथा गर्भपात की संभावना रहती है. इसलिए इस बात का ध्यान रखना जरूरी है.
प्लेसेंटा में समस्या
इसके बाद दूसरे चरण में कुछ रक्तस्राव होता है, हालांकि यह कम गंभीर होता है. यदि इसकी अधिकता है, तो यह गर्भाशय प्लेसेंटा में किसी समस्या का संकेत देता है. कुछ के लिए, प्लेसेंटा गर्भाशय के मुंह के पास, यानी नीचे होता है. ऐसी स्थिति में कुछ रक्तस्राव तो होगा ही. आपको इस बारे में अधिक चिंतित होना चाहिए. अन्यथा गर्भपात की संभावना रहती है. इसलिए आपको जितना हो सके आराम करना चाहिए. अधिक कठिन कार्य दोबारा न करें.
गर्भाशय का मुंह खोलना
प्रसव के तीसरे चरण के दौरान यानी 37 सप्ताह के बाद रक्तस्राव हो सकता है. यह प्रसव का लक्षण है. जैसे ही गर्भाशय का मुंह खुलता है, उसमें थोड़ा-थोड़ा रक्तस्राव शुरू हो जाता है. इसके अलावा अगर गर्भाशय ग्रीवा के मुंह में कोई मांस की गांठ हो तो इस तरह का रक्तस्राव होता है.
ये सभी गर्भावस्था में रक्तस्राव जैसी समस्याएं हैं. इसलिए, यदि आपको ऐसे किसी भी मामले में रक्तस्राव का अनुभव होता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना और उचित उपचार और सलाह लेना आवश्यक है, डॉक्टरों ने सलाह दी है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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गर्भावस्था में रक्तस्राव का क्या कारण है? क्या यह गर्भपात का संकेत है?