डीएनए हिंदीः तुलसी (Tulsi), मुलेठी की जड़ (Licorice Root), पिप्पली या लंबी काली मिर्च (Pippali or long pepper), कालमेघ (Kalmegh) जैसी कई जड़ी-बूटियां ऐसी हैं जो सांस की नली से लेकर फेफड़ों तक की गंदगी को साफ कर देती हैं. यदि आप लंंग्स डिजीज- सीओपीडी, अस्थमा या टीबी के मरीज हैं या किसी भी तरह की सांस की बीमारी है तो ये औषधियां आपके लिए वरदान समान हैं.
कोरोना, टीबी या एच3एन2 वायरस अटैक का शिकार हमारे फेफड़े सबसे ज्यादा हुए हैं और इसका खामियाजा हमारी सांसे (Respiratory Health) उठा रही हैं, देश में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (hronic obstructive pulmonary disease (COPD)), अस्थमा (Asthma) और टीबी (tuberculosis) जैसी पुरानी सांस की बीमारियां आज के दौर में पाल्यूशन से और खराब स्थिति में आ गई हैं. श्वसन स्वास्थ्य में सुधार करने के प्राकृतिक तरीके ऐसे है जो सालों पुरानी बीमारी को भी ठीक कर सकते हैं. यहां पांच जड़ी-बूटियों के कुछ जादुई लाभ बताने जा रहे हैं जो आपके फेफड़े को नई जान देंगे.
खांस-खांस कर फेफड़े हो गए हैं छलनी, तो ये अचूक नुस्खा ही दिला सकता है आराम
तुलसी
तुलसी में एंटीऑक्सिडेंट, जिंक और विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है, जो स्वाभाविक रूप से प्रतिरक्षा बढ़ाती हैं. तुलसी में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो इसे श्वसन संबंधी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, इन्फ्लूएंजा, खांसी और सर्दी के इलाज के लिए फायदेमंद बनाते हैं.
मुलेठी
गले में खराश और खांसी से राहत पाने के लिए मुलेठी की जड़ चबाया जाता है. यह निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी पुरानी बीमारियों की रामबाण दवा है. छाती में जमे बलगम और पुरानी से पुरानी खांसी इससे ठीक होती है. मुलेठी की जड़ में मौजूद टैनिन ग्लाइसीर्रिज़िन एक सक्रिय संघटक है जो फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण के खिलाफ शरीर की सुरक्षा को मजबूत करता है. ये फेफड़ों को नया जीवन दे सकता है.
पिप्पली
पिप्पली सर्दी और खांसी के इलाज के लिए एक प्रभावी जड़ी बूटी है, और यह आयुर्वेद के अनुसार पूरे श्वसन तंत्र के लिए वरदान है. इसमें मौजूद तत्व पिपेरिन में कफ निकालने वाला, वात को हरने और संक्रमण-रोधी गुणों से भरा होता है, साथ ही यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है. काली मिर्च पाउडर को शहद के साथ सेवन करने या इसे नियमित आहार में शामिल करने से श्वसन संक्रमण को रोकने और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है.
कालमेघ
कालमेघ, जो अक्सर आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाता है, ये एंटीवायरल, जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा-उत्तेजक गुणों से युक्त होता है जो श्वसन संक्रमण, बुखार, सामान्य सर्दी, खांसी, फ्लू और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं के इलाज में फायदेमंद होते हैं.
वासाका
वसाका, जिसे आमतौर पर अधातोदावासिका या मालाबार अखरोट के रूप में जाना जाता है, श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार है. यह श्वसन प्रणाली के एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है, फेफड़ों को साफ करता है और ब्रोंकाइटिस, तपेदिक और अन्य फेफड़ों की बीमारियों का इलाज करते हुए ब्रोन्कोडायलेशन को बढ़ाता है. असाका के पत्तों से पेय तैयार करने से खांसी और अन्य सर्दी के लक्षणों से राहत मिल सकती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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