सचिन या धोनी जैसे कई मानद नामचीन भारतीय हस्ती टेरिटोरियल आर्मी में हैं. धोनी लेफ्टिनेंट कर्नल और सचिन ग्रुप कैप्टन हैं. तो क्या अगर जरूरत पड़ी तो टेरिटोरियल आर्मी के लोग भी बॉर्डर पर मोर्चा संभालने के लिए बुलाए जाते हैं? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
इससे पहले आपको ये समझना होगा कि टेरिटोरियल आर्मी होती क्या है और सेना में इनकी भर्ती क्यों होती है. सचिन और धोनी भी टेरिटोरियल आर्मी के मेंबर हैं. धोनी और सचिन ही नहीं कई नेता और खिलाड़ी भी भारतीय सेना में अधिकारी रैंक पर हैं. महेंद्र सिंह धोनी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं तो सचिन तेंदुलकर वायु सेना में ग्रुप कैप्टन हैं. इसके अलावा अन्य खिलाड़ी भी हैं जो सेना में किसी न किसी पद पर हैं.
क्या होती है टेरिटोरियल आर्मी
टेरिटोरियल आर्मी एक वॉलंटियर सर्विस है, जिसमें नागरिक भाग ले सकते हैं. सेना की भर्ती के दौरान इसकी भर्ती निकाली जाती है और उम्मीदवार को मेडिकल फिट होना चाहिए. टेरिटोरियल आर्मी का उद्देश्य देश की सेवा करने के लिए युवाओं को अवसर प्रदान करना है, जो किसी कारण से सेना में भर्ती नहीं हो पाते हैं.
क्या धोनी और सचिन जैसे क्रिकेटरों को जंग में भेजा जा सकता है?
अब सवाल यह है कि क्या धोनी और सचिन जैसे क्रिकेटरों को जंग में भेजा जा सकता है? जंग में सबसे पहले भारतीय सेना आगे आती है और सेना के जवान सरहदों की रक्षा करते हैं. स्थिति बिगड़ने पर पैरा मिलिट्री फोर्स की मदद ली जाती है. जरूरत पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी को भी जंग में बुलाया जा सकता है, लेकिन ऐसा कम ही होता है.
टेरिटोरियल आर्मी भी ले चुकी है हिस्सा
टेरिटोरियल आर्मी ने 1962, 1965, 1971 और 1999 में करगिल की लड़ाई में हिस्सा लिया है. इन युद्धों में टेरिटोरियल आर्मी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसलिए, धोनी और सचिन जैसे क्रिकेटरों को जंग में भेजने की संभावना कम है, लेकिन यह पूरी तरह से सेना की जरूरतों पर निर्भर करता है.
ये लोग भी है टेरिटोरियल आर्मी के मेंबर
टेरिटोरियल आर्मी में कई खिलाड़ियों को मानद उपाधि दी जाती है, जिनमें धोनी और सचिन के अलावा पूर्व कप्तान कपिल देव, शूटर अभिनव बिंद्रा, राजनेता अनुराग ठाकुर, सचिन पायलट, मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल और नाना पाटेकर जैसे नाम भी शामिल हैं. ये सभी टेरिटोरियल आर्मी में किसी न किसी रैंक पर हैं.
धोनी ने ली है ट्रेनिंग भी
धोनी टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और पैराशूट रेजिमेंट से हैं. उन्होंने इसकी ट्रेनिंग भी ली है. इसी तरह सचिन तेंदुलकर ग्रुप कैप्टन हैं. इन खिलाड़ियों को सेना में मानद उपाधि देने का उद्देश्य उनके योगदान को सम्मानित करना है, न कि उन्हें जंग में भेजना.
इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि धोनी और सचिन जैसे क्रिकेटरों को जंग में भेजा जाएगा या नहीं. यह पूरी तरह से सेना की जरूरतों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. लेकिन यह तय है कि टेरिटोरियल आर्मी देश की सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहती है, और जरूरत पड़ने पर वे अपनी भूमिका निभाएंगे.
क्या है टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका
टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका देश की रक्षा में महत्वपूर्ण है, और यह सेना की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती है. इसलिए, धोनी और सचिन जैसे क्रिकेटरों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है, अगर उन्हें जंग में भेजा जाता है. लेकिन यह पूरी तरह से सेना की जरूरतों पर निर्भर करता है, और यह तय है कि वे अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहेंगे.
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से
- Log in to post comments

पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो क्या बॉर्डर पर सचिन और धोनी भी क्या सेना का देंगे साथ?
सेना में शामिल सचिन-धोनी भी क्या पाकिस्तान से हुई जंग तो संभालेंगे बॉर्डर पर मोर्चा?