भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच अब ये संदेह वक्त किया जा रहा है कि इस्लामाबाद के नूर खान स्थित न्यूक्लियर शास्त्रागरा में रिसाव हो रहा है और मिस्र के वायुसेना कार्गो बोरॉन लेकर पहुंचा है और उस के बाद अब यूएस का विमान भी पाकिस्तान पहुंचा है. अगर न्यूक्लियर लीकेज हो तो उसके क्या नुकसान हो सकते हैं चलिए ये भी जानते हैं.
विमान की लैंडिंग के बाद और पीएम मोदी के कल रात यानी 12 मई को देश के नाम संबोधन में पाकिस्तान को न्यूक्लियर धमकी न देने की चेतावनी के बाद से सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हो गईं हैं पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागर में लीकेज है.
फ्लाइटराडार24 के आंकड़ों से पता चलता है कि मिस्र की वायुसेना का परिवहन विमान, जिसका कॉल साइन EGY1916 था, 11 मई की दोपहर भुरबन हवाई अड्डे (BHC) से रवाना हुआ था. विमान चीन से पाकिस्तान पहुंचा, लेकिन उसका अगला गंतव्य कहां था ये पता नहीं चल सका है. किन सोशल मीडिया पर उपग्रह चित्रों की बाढ़ से अफवाहों को हवा मिल रही है.
चलिए जानें न्यूक्लियर लीकेज के क्या नुकसान हो सकते हैं?
1. हानिकारक रेडिएशन का खतरा: रेडियोएक्टिव पदार्थों या न्यूक्लियर लिकेज से रेडिएशन का खतरा बढ़ता है, जिससे कैंसर, हेरिडिटी रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं .
2. पर्यावरण प्रदूषण: रेडियोएक्टिव चीजें पर्यावरण में फैलकर मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषित कर देते हैं .
3. जल प्रदूषण: रेडियोएक्टिव पदार्थ जल स्रोतों में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बन सकते हैं .
4. भोजन श्रृंखला में प्रभाव: रेडियोएक्टिव चीजें खाने से लेकर जमीन तक में प्रवेश कर सकते हैं और इंसान के हेल्थ पर निगेटिव प्रभाव पड़ता हैं .
5. आर्थिक नुकसान: न्यूक्लियर लीकेज से निपटने और उसके प्रभावों को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होती है .
6. सामाजिक और मानसिक प्रभाव: न्यूक्लियर लीकेज के कारण लोगों में भय, चिंता और तनाव बढ़ सकता है, जिससे सामाजिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं .
न्यूक्लियर लीकेज के प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता होती है .
न्यूक्लियर लीकेज रेडिएशन के नुकसान को बोरॉन से कैसे रोका जाता है?
बोरॉन का उपयोग न्यूक्लियर लीकेज रेडिएशन के नुकसान को रोकने के लिए किया जाता है क्योंकि यह न्यूट्रॉन को अवशोषित करने में सक्षम होता है . बोरॉन के गुणों के कारण:
1. न्यूट्रॉन अवशोषण: बोरॉन न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है, जिससे रेडिएशन का प्रभाव कम किया जा सकता है.
2. शील्डिंग: बोरॉन का उपयोग शील्डिंग में किया जा सकता है ताकि रेडिएशन को रोका जा सके .
3. नियंत्रण: बोरॉन का उपयोग न्यूक्लियर रिएक्टरों में नियंत्रण छड़ों में भी किया जाता है ताकि न्यूट्रॉन की संख्या को कंट्रोल किया जा सके .
बोरॉन के इन गुणों के कारण, इसका उपयोग न्यूक्लियर लीकेज रेडिएशन के नुकसान को रोकने में किया जा सकता है .
(Disclaimer: यह खबर न्यूक्लियर रिसाव के नुकसान की केवल जानकारी के लिए है. इस खबर की पुष्टी डीएनए हिंदी नहीं करता है.)
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Nuclear Leak Suspected in Pakistan (AI Image)
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