डीएनए हिंदीः भारत के छह गांव ऐसे हैं जो दूसरे देश की सीमा से सटे हुए हैं. यही कारण है कि इन्हें भारत के आखिरी गांव के रूप में जाना जाता है. इन गांव में दो कदम या पहाड़ों की उंची श्रृंख्ला के बाद दूसरे देश शुरू हो जाते हैं. इसमें से कुछ तो दुश्मन देश भी हैं.
भारत में कुछ गांव ऐसे भी हैं जिनकी रेखाएं दूसरे देशों के साथ जुड़ी हुई हैं और दोनों ही देशों के बॉर्डर के बीच दोनों तरफ से गांव हैं. यहां हम उन भारतीय गांवों के बारे में बताएंगे जो दूसरे देशों से सटे हुए हैं.
माना गांव, उत्तराखंड
माना या माणा गांव उत्तराखंड के बद्रीनाथ से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर है और ये भारत का आखिरी गांव है. इसके बाद चीन की सीमा शुरू होती है. चीन और भारत के बीच एक उंची पहाड़ों की श्रृंखला है. इस गांव में सबसे अंतिम शॉप चाय पानी की है.
मोरेह, मणिपुर
भारत-म्यांमार सीमा से पहले स्थित मोरेह में लोग शॉपिंग करने के लिए आते हैं. मोरेह की सड़कों पर कई दुकानें हैं जिनमें हस्तशिल्प से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक सब कुछ बिकता है. बाजार कैनवास की तरह दिखाई देता है.मोरेह की संस्कृति और जीवन शैली सीमावर्ती देश के तमू शहर के समान ही है, जो सीमा पार केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
धनुषकोडी, तमिलनाडु
तमिलनाडु के धनुषकोडी गांव एक तरफ बंगाल की खाड़ी और दूसरी तरफ हिंद महासागर से जुड़ा है. धनुषकोडी जमीन की एक पट्टी है जो केवल एक किलोमीटर चौड़ी है. 1964 में विनाशकारी चक्रवात के बाद से ये शहर लोगों के लिए भूतिया बन गया था.ये जगह श्रीलंका के तलाईमन्नार से 20 किलोमीटर से काफी दूर हैए भारत से जुड़े रहने का एक मात्र तरीका पंबन ब्रिज है.
झूलाघाट, उत्तराखंड .
एक प्राकृतिक अंतरराष्ट्रीय सीमा से विभाजित, झूलाघाट भारत की ओर और एक जुलाघाट नेपाल की ओर स्थित है. नदी के ऊपर बना सशपेंशन ब्रिज लोगों के घूमने के लिए एक खास पॉइंट है. यह छोटा सा शहर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और यह नदी और हिमालय की ऊंची चोटियों से सुशोभित है. झूलाघाट में धार्मिक और एडवेंचर से प्यार करने वाले पर्यटक आते हैं.
टर्टुक, लद्दाख
लद्दाख टर्टुक गांव से पाकिस्तान की सीमा शुरू होती है. अंतिम भारतीय गांव टर्टुक का घर भी है गिलगित. बाल्टिस्तान सीमा पर श्योक नदी के किनारे स्थित ये जगह काफी ज्यादा शांत है. टर्टुक 1971 के युद्ध के बाद भारत का हिस्सा बन चुका है.सीमा के दोनों ओर गांव की कुछ दिलचस्प बातें सुनने के लिए आप गांव में घूम सकते हैं.
चितकुल, हिमाचल प्रदेश .
चितकुल पुराने तिब्बत व्यापार मार्ग के साथ हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में स्थित है.चरंग दर्रे से खड़ी ढलान चितकुल और बसपा नदी के लिए एक खुला मार्ग बनाती है.चितकुल से हिमालय के 180 डिग्री के नजारे दिखाई देते हैंए जो यहां आने वाले पर्यटकों के लिए एकदम नए हैं.यह तिब्बत सीमा के किनारे भारत का अंतिम गांव है.घाटी की विशेषता सेब के बागोंए टिन की छत वाले घरों और एक तरफ से बहती नदी और दूसरी तरफ बर्फ से ढके पहाड़ हैं. यात्रियों को अक्सर हिंदुस्तान के आखिरी ढाबा वाली दूकान से भी खाना खाते हुए और चाय पेट हुए देखा जा सकता है. यहां के असमान पथरीले रास्ते और स्थानीय वास्तुकला गांव को एकदम अलग बनाते हैं.
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Last Villages of India: ये हैं भारत के आखिरी 6 गांव जहां दो कदम आगे रखते ही शुरू होती है दुश्मनों की जमीन