दुनिया भर में अलग-अलग तरह के वायरस मौजूद हैं. इनमें से कुछ वायरस ज्यादा खतरनाक होते हैं तो कुछ कम खतरनाक. वैज्ञानिक लगातार इन वायरस पर अध्ययन कर रहे हैं. इन वायरस को मारने के लिए टीके बनाए जाते हैं. आज से करीब 23 साल पहले दुनिया में एक वायरस ने दस्तक दी थी. उस वक्त वैज्ञानिकों को इसकी जानकारी मिली. लेकिन उन्होंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. इस वायरस पर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है. इसलिए इस वायरस से बचने के उपाय किए ही नहीं गए.

साथ ही वैज्ञानिकों को इसका कोई टीका भी नहीं मिला है. आज वही वायरस तबाही मचाने को तैयार है. इस वायरस के कारण पूरी दुनिया में डर का माहौल फैल गया है. हर कोई यही उम्मीद कर रहा है कि यह वायरस कोरोना की तरह परेशानी भरा न हो. क्योंकि अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. फिलहाल यह वायरस चीन में फैला हुआ है. इस वायरस का नाम है एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस.
 
वास्तव में यह वायरस कैसा है? 

एचएमपीवी का मतलब ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस एक आरएनए वायरस है. यह न्यूमोविरिडे परिवार के मेटान्यूमोवायरस वर्ग से संबंधित है. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस एक सामान्य श्वसन वायरस है. यह संक्रमण खांसी के कारण होता है. ये वायरस एक मौसम की तरह है. रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस और फ्लू के समान, यह सर्दियों और शुरुआती वसंत को प्रभावित करता है.

चीन में इस समय सर्दी चल रही है. इसलिए वहां मेटान्यूमोवायरस का संक्रमण बढ़ रहा है. चीन में लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं. अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं. हर जगह हाहाकार मची है. इसका असर भारत समेत कई देशों में देखने को मिल रहा है. भारत भी सतर्क हो गया है.
 
क्या एचएमपीवी वायरस कोरोना वायरस की तरह ही नया है? यह वायरस कब आया?

दरअसल, एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, यह वायरस लगभग 23 वर्षों से मौजूद है. इसकी खोज 2001 में हुई थी. कुछ सीरोलॉजिकल साक्ष्यों के आधार पर विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस 1958 से ही प्रसारित हो रहा है.

ड्रॉपलेट्स से तेजी से फैलता है ये वायरस

एचएमपीवी आरएसवी के साथ न्यूमोवायरस परिवार से संबंधित है. यह एक सामान्य श्वसन रोगज़नक़ के रूप में दुनिया भर में व्यापक है. यह खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है. कई सालों से मौजूद इस वायरस पर वैज्ञानिकों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया है. अगर इस ओर ध्यान दिया गया होता तो आज वैक्सीन उपलब्ध होती. एचएमपीवी वायरस के खिलाफ कोई टीका उपलब्ध नहीं है.

फिलहाल यह वायरस चीन से अब भारत में भी आ चुका है. ये श्वसन रोग  दुनिया भर में फैल रहा है. यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने पर मानव शरीर से निकलने वाली बूंदों से फैलता है. यह वायरस किसी संक्रमित रोगी के निकट संपर्क या दूषित वातावरण के संपर्क में आने से फैलता है.

संक्रमण काल ​​तीन से पांच दिन का

इस वायरस का संक्रमण काल ​​तीन से पांच दिन का होता है. दरअसल, यह वायरस साल भर पाया जाता है. लेकिन इसका प्रभाव सर्दी और वसंत ऋतु में अधिक दिखाई देता है. इसलिए चीन में लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. इसलिए लोगों ने फेस मास्क पहनना शुरू कर दिया है. भारत सरकार ने भी नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)   

  खबर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें  हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
HMPV virus has been on earth for 66 years, but why has no medicine and vaccine been made?
Short Title
66 साल तक धरती पर है HMPV वायरस, लेकिन क्यों नहीं बनी कोई वैक्सीन?
Article Type
Language
Hindi
Tags Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
 HMPV virus outbreak in China
Caption

HMPV virus outbreak in China

Date updated
Date published
Home Title

66 साल तक धरती पर है HMPV वायरस, लेकिन क्यों नहीं बनी कोई वैक्सीन?

Word Count
596
Author Type
Author