डीएनए हिंदीः जब गर्मी सताती है तो छोटे बड़े शहरों में आजकल एयर-कंडीशनर यानी (AC) राहत दिलाता है. तपती गर्मी में सीमेंट से बने घर बने घर जरूरत से ज़्यादा गरम रहते हैं. बढ़ता हुआ तापमान आने वाले समय के लिए चेतावनी है. भीषण गर्मी से बचने के लिए एयर-कंडीशनर खरीदना भले आसान विकल्प हो लेकिन ऊर्जा की खपत करने वाले ये उपकरण केवल समस्याओं को बढ़ा रहे हैं. ये उपकरण समस्या का समाधान नहीं हैं. आइए जानते हैं कि AC जितनी ठंडक देता है उतना ही हमारे वातावरण के लिए कैसे खतरनाक है.
उफ्फ ये गर्मी वाकई जानलेवा है
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भविष्यवाणी की है कि 2030 तक गर्मी की वजह से हर साल 38,000 ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है. इनमें सबसे ज्यादा संख्या बुजुर्गों की होगी. पिछले हफ्ते दिल्ली गुरुग्राम सहित कई ज़िलों में पारा लगभग 49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था. वही पहाड़ों के नजदीक रहने के बावजूद चंडीगढ़ में भी मई, जून और जुलाई के महीनों में तापमान में सालाना बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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AC से बढ़ी बिजली की खपत
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार, तेजी से गर्म होती धरती, भारत और चीन जैसे देशों में बढ़ती आबादी और लोगों की आय में वृद्धि की वजह से एसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है. मौजूदा समय में दुनिया भर में इस्तेमाल किए जा रहे एसी की कुल संख्या करीब 200 करोड़ है. जो 2050 तक बढ़कर 560 करोड़ हो सकती है.
1990 के बाद से स्पेस कूलिंग के लिए दुनिया भर में बिजली की खपत तीन गुना से अधिक हो गई है . 2020 से ले कर अब तक ग्लोबल स्पेस कूलिंग की मांग बढ़ती रही है. जिसमें सबसे बड़ी मांग होम कूलिंग में इस्तेमाल में लाये जाने वाली बिजली द्वारा संचालित पंखे और AC हैं. जो लगभग 16% तक बिजली की खपत के लिए ज़िम्मेदार हैं.
AC कर रहा है पर्यावरण की ऐसी की तैसी
वहीं WHO की मानें तो पूर्व-औद्योगिक स्तर से केवल 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फॉरनहाइट) की वृद्धि 230 करोड़ लोगों को भीषण गर्मी की लहरों के खतरे में डाल सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हम कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं करते हैं, तो 2030 के दशक की शुरुआत तक तापमान में वृद्धि काफी ज्यादा लोगों को प्रभावित कर सकती है.
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AC का ओजोन लेयर पर प्रभाव
AC का अत्यधिक उपयोग चिंता का कारण है क्योंकि उनके द्वारा उत्सर्जित हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) प्रदूषक पैदा करते हैं. जो ओजोन लेयर में छेद करने का एक कारण बन सकता है. अनुमान के मुताबिक, 2050 तक सिर्फ घरों और कार्यालयों को ठंडा रखने के लिए कई देशों में 30 से 50 फीसदी बिजली खर्च होगी, जो अभी सिर्फ 16 फीसदी है. इसका साफ मतलब है कि ग्रिड पर काफी ज्यादा दबाव होगा और कई ग्रिड काम करना बंद भी कर सकते हैं. जिसकी वजह से आने वाले कुछ सालो में दुनिया के कई देशों को बिजली की किल्लत का भी सामना करना पड़ सकता है.
विकल्प क्या है?
जिन देशों में ज्यादा गर्मी पड़ती है वहां के लोग आराम से रह सकें और काम कर सकें, इसमें एयर-कंडीशनर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. साथ ही, इनकी बिक्री से अर्थव्यवस्था का पहिया भी घूमता है. हालांकि, जब तक एसी काफी अधिक जलवायु के अनुकूल नहीं बन जाते, तब तक उनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि एक बड़ी चुनौती बन सकती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो घरों को ठंडा रखने के विकल्पों के बारे में जागरूकता की कमी है. साथ ही पैसे और जानकारी की कमी की वजह से भी लोग कम उत्सर्जन वाले और कम खपत करने वाले एसी नहीं खरीद पाते.
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क्या है TRUE AIRCONDITIONING
AC का मतलब बाजार का सबसे एयर-कंडीशनर मशीन तक ही सीमित नहीं होना चाहिए. Air Conditioner एक पूरी व्यवस्था होनी चाहिए जहां शहरों, इमारतों और घरों का डिजाइन और मैटरियल का इस्तेमाल इस प्रकार हो जो कम से कम विद्युत खपत में वातावरण को ठंडा कर सके. एसी की तकनीक में सुधार लाने से ज्यादा जरूरी है उच्च तापमान से बचाव करना और एमिशन को कम करना. उदाहरण के लिए, इस तरह से इमारत का निर्माण किया जाए कि उनकी बाहरी दीवारों पर छाया रहे, छतों पर छोटे-छोटे पौधे लगाना या सूर्य की किरणों को रिफ्लेक्ट करने वाला पेंट करना, इलाके में हरियाली बढ़ाना, घरों और गलियारों को हवादार बनाना आदि. एक्सपर्ट्स का मानना है की हमें सस्टेनेबल एनर्जी के तरीके ढूंढने चाहिए ताकि बढ़ते तापमान में भी लोगों को AC जैसे प्रोडक्ट्स का कम इस्तेमाल करना पड़े.
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क्या ठंडक देने वाले Air Conditioners बन गए है बढ़ती गर्मी की वजह?