मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. मस्तिष्क हमारे शरीर को कार्य करने में मदद करता है. उदाहरण के लिए किसी बात पर प्रतिक्रिया देने से लेकर उठने-बैठने तक हर चीज का कम्यूनिकेशन दिमाग से सेट होता है. जब हम कोई कार्य कर रहे होते हैं तो अक्सर सोचते हैं और अक्सर मस्तिष्क हमें जो संकेत दे रहा होता है.
अब आप देखिए जब आप सो रहे होते हैं तो कई लोग सोचते हैं कि जब आप सो रहे होते हैं तो आपका दिमाग भी सोता है, लेकिन यह सच नहीं है. मस्तिष्क का कोई न कोई भाग लगातार कुछ न कुछ करता रहता है. हमें अक्सर रात में सपने आते हैं. कुछ लोग आंखें खोलकर सोते हैं, कुछ लोग नींद में बात करते हैं और कुछ लोग नींद में सवालों के जवाब भी देते हैं. आइये आज जानते हैं...
नींद में बात करना क्या है?
नींद में बात करना या सोमनीलोक्वी, नींद के दौरान हाइपर एक्टिव होना, चलना या हाथ-पैर मारना. यह एक तरह का पैरासोमनिया है, यानी नींद के दौरान होने वाला असामान्य व्यवहार. आम तौर पर, यह कोई बीमारी नहीं है और इसे चिकित्सा समस्या नहीं माना जाता. हालांकि, ये आदत दूसरों को परेशान जरूर करती है.
2017 स्लीप डॉट कॉम के अध्ययन में पाया गया कि 66% लोग अपनी नींद में बात करते हैं, और 50% बच्चे अपनी नींद में बात करते हैं. यह समस्या बच्चों में बहुत आम है. आपकी इस परेशानी को सबसे पहले आपका परिवार समझता है. उदाहरण के लिए, नींद में हंसना, गुर्राना, चीखना, नींद में लोगों के हाव-भाव बदलना नींद में बात करने के लक्षण हैं.
क्या नींद में बातें करना खतरनाक हो सकता है?
नींद में बातें करना अधिक सोचने, तनाव या किसी अन्य मानसिक परेशानी के कारण हो सकता है. यह खतरनाक भी हो सकता है क्योंकि आप नींद में लात, हिरन या कुछ भी कर सकते हैं, बहुत से लोग नींद में चलते हैं. बहुत से लोग नींद में बात करने की आदत के कारण शर्मिंदगी महसूस करते हैं क्योंकि वे लगातार सोचते रहते हैं कि अगर उन्होंने गलती से किसी के बारे में बुरा बोल दिया तो कितना शर्मनाक होगा. यह विकार आनुवंशिक भी हो सकता है. कई लोगों का मानना है कि नींद में बात करने की यह घटना मानसिक बीमारी से संबंधित है लेकिन ऐसा नहीं है.
क्यों होता है सोते समय ऐसा और क्या करें
नींद में बात करने की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि तनाव, डिप्रेशन, नींद की कमी, दिन में थकान, शराब या किसी दवा की लत, बुखार आदि. नींद में बात करना या बड़बड़ाने का मतलब है आपका शरीर जरूर सो रहा है लेकिन दिमाग एक्टिव है. इसके लिए जरूरी है कि आप दिमाग को रिलेक्स करने वाला काम करें और स्ट्रेस से बचें. नींद में चलने या लात-घूसे चलाने की आदत यदि अक्सर हो रही और ये एक समस्या बन रही तो मनोचिकित्सक की मदद जरूर लें. इसके अलावा मेटिटेशन, कार्डियो एक्सरसाइज और योग से भी दिमाग को शांत रखा जा सकता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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क्या नींद में बड़बड़ाने, चलने या लात-घूसे चलाते हैं आप, जानिए दिमाग क्यों सोते हुआ भी जागता है?