डीएनए हिंदीः सफेद बाल को कलर लगाकर काला करना आसान जरूर है लेकिन इसे लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट इतने है कि आपको बाद में पछतावे के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा. इसलिए बालों की सफेदी छुपाने के लिए आप नेचुरल चीजो का प्रयोग करें. खास बात ये है कि ये नेचुरल चीजें आपको बिना नुकसान दिए बालों को कलर से भी ज्यादा अच्छा रिजल्ट देंगी.
हिना-इंडिगो ही नहीं एक और ऐसी जड़ी है जिसे आप आपने बालों पर लगाकर व्हाइट हेयर को काला रंग दे सकते हैं. ये जड़ी सदियों से बालों को काला करने के लिए यूज होती रही है लेकिन मॉर्डन समय में ये जड़ी को लोग भूल गए हैं. ये वो जड़ी है जो बालों की हर तरह की समस्या का इलाज करती है.
सफेद बाल, रूसी से लेकर के झड़ना तक रूकेगा
भृंगराज तेल यह एक क्लासिक आयुर्वेदिक हेयर टॉनिक है जो बालों के झड़ने, सफेद बालों और रूसी के लिए बेहद फायदेमंद है. बालों को लाभ पहुंचाने के अलावा यह त्वचा की समस्याओं, सिर दर्द और मानसिक कमजोरी के लिए भी उपयोगी है. भृंगराज के तेल से बालों की मालिश करने से माइग्रेन के दर्द से भी आराम होता है, ये तेल याददाश्त बढ़ने और रक्त संचार में सुधार करता है.
सफ़ेद बाल काला करने का जान ले अचूक नुस्खा
भृंगराज हेयर ऑयल और इसकी पत्तियों से बना पेस्ट आपके सफेद बाल को काला बना देगा. तो चलिए जानें कि भृंगराज का तेल और हेयर कलर पेस्ट कैसे बनाएं.
ऐसे बनाएं बालों को काला करने वाला पेस्ट
भृंगराज पाउडर में हरीतकी और जटामांसी को मिक्स करें और इसे मेहंदी के पाउडर में मिक्स कर रात भर के लिए भीगा दें.अगले दिन इसे पेस्ट को बालों में लगाएं और 1 से डेढ़ घंटे रखकर सादे पानी से धो लें. इसके बाद भृंगराज का तेल बालों में लगा लें.
स्कैल्प के संक्रमण का इलाज करता है
भृंगराज में एंटी-बैक्टीरियल गुणों की अच्छाई, इसे विभिन्न प्रकार के स्कैल्प संक्रमणों के इलाज के लिए एक त्वरित समाधान बनाती है. मुख्य रूप से भृंगराज तेल फॉलिकुलिटिस के विभिन्न रूपों के उपचार में प्रभावी है, जो स्टैफिलोकोकस ऑरियस से संक्रमण के कारण होता है और बालों के रोम की सूजन का कारण बनता है जो अंततः बालों के झड़ने और गंजेपन का कारण बनता है. यह टिनिया कैपिटिस के कारण सिर पर होने वाले दाद के संक्रमण का भी इलाज करता है. इस जादुई तेल के नियमित उपयोग से बालों के रोम छिद्रों की सूजन कम होती है, खोपड़ी की कोमलता कम होती है, खोपड़ी की खुजली कम होती है और बालों का विकास बढ़ता है.
भृंगराज तेल कैसे बनाएं?
2560 ग्राम - भृंगराज जूस
640 ग्राम - आंवला जूस
640 ग्राम - ब्राह्मी का रस
आधार तेल:
1280 ग्राम - तिल (तिल) का तेल
पेस्ट के लिए जड़ी बूटी (कालका):
10 ग्राम - हरीतकी (टर्मिनलिया चेबुला)
10 ग्राम - बिभीतकी (टर्मिनलिया बेलिरिका)
10 ग्राम - आंवला
10 ग्राम - मंजिष्ठा
10 ग्राम - बाबची
10 ग्राम - लाल चंदन/चंदन
10 ग्राम - पद्मक
10 ग्राम - नागरमोथा
10 ग्राम - कचूर
10 ग्राम - लोधरा
10 ग्राम - अनंतमूल
10 ग्राम - मेहंदी
10 ग्राम - यष्टिमधु
10 ग्राम - जटामांसी
10 ग्राम - प्रियंगु
10 ग्राम - कुथ
10 ग्राम - मण्डूर
तरीका:
जड़ी बूटियों का रस निकाल कर अलग रख दें. तिल के तेल को शुद्ध कर लें. जड़ी बूटियों का पेस्ट या कालका पानी या गाय के दूध में मिलाकर तैयार करें. एक मिक्सिंग बाउल में सभी सामग्री यानी जूस, तेल और कालका मिलाएं. बर्तन को आंच पर रखें और तब तक चलाते रहें जब तक जड़ी-बूटियां मिक्स न हो जाएं और केवल तेल ही रह जाए. इसे आंच से उतार लें और कुछ दिनों के लिए ठंडा होने दें. इसे एक कांच के कंटेनर में स्टोर करें और आपका भृंगराज तेल उपयोग के लिए तैयार है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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