शारदा सिन्हा कैंसर से जूझ रही हैं और उन्हें 26 अक्टूबर को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. सोमवार 4 नवंबर को तबियत ज्यादा खराब होने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया हैं. उनकी हालत अभी स्थिर है. छठ का पर्व है और इस मौके पर शारदा सिन्हा के गीत देशभर में गूंज रहे हैं. अपनी मधुर आवाज के लिए 'बिहार कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध हैं. लोग शारदा सिन्हा के ठीक होने के लिए लोग छठी मैय्या से प्रार्थना कर रहे हैं.
बता दें कि सिन्हा मल्टीपल मायलोमा से जूझ रही हैं. वह करीब दो हफ्ते से एम्स के ऑन्कोलॉजी मेडिकल डिपार्टमेंट में भर्ती हैं. खास बात ये है कि तीन दिन पहले ही नए छठ गीत "दुखवा मिटाईं छठी मैया, रउए आसरा हमार" का वीडियो सोमवार को एम्स से जारी किया गया. शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने एक्स पर पोस्ट कर इस छठ गीत का वीडियो जारी किया है. कुछ दिन पहले ही इसी गाने का ऑडियो जारी किया गया था.
बेटे अंशुमान ने दी शारदा सिन्हा के स्वास्थ्य की जानकारी दी कि सोमवार को उनकी तबीयत फिर थोड़ी बिगड़ गई है. इस वजह से उन्हें दोबारा आइसीयू में शिफ्ट करने की बात चल रही है. मां मुश्किल वक्त से गुजर रहीं हैं. उन्हें दुआओं की जरूरत है.
जाने क्या है मल्टीपल मायलोमा कैंसर
मल्टीपल मायलोमा, प्लाज़्मा सेल कैंसर का सबसे आम प्रकार है. यह एक तरह का रक्त कैंसर है जो अस्थि मज्जा में प्लाज़्मा कोशिकाओं में शुरू होता है. अस्थि मज्जा, हड्डियों के अंदर का स्पंजी ऊतक होता है जहां सामान्य रक्त कोशिकाएं बनती हैं. मल्टीपल मायलोमा को मायलोमा के नाम से भी जाना जाता है. प्लाज्मा कोशिकाएं एंटीबॉडी बनाती हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं लेकिन इस कैंसर में एंटीबॉडीज काम करना बंद करने लगती है.
मल्टीपल मायलोमा, प्लाज़्मा सेल कैंसर का सबसे आम प्रकार है. यह एक तरह का रक्त कैंसर है जो अस्थि मज्जा में प्लाज़्मा कोशिकाओं में शुरू होता है. अस्थि मज्जा, हड्डियों के अंदर का स्पंजी ऊतक होता है जहां सामान्य रक्त कोशिकाएं बनती हैं. मल्टीपल मायलोमा को मायलोमा के नाम से भी जाना जाता है.
मल्टीपल मायलोमा के बारे में ज़रूरी बातेंः
- मल्टीपल मायलोमा में, असामान्य प्लाज़्मा कोशिकाएं तेज़ी से बढ़ती हैं. ये कोशिकाएं, शरीर की कई हड्डियों में प्लाज़्मासाइटोमा नामक ट्यूमर बना सकती हैं.
- मल्टीपल मायलोमा, अक्सर शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है, जैसे कि रीढ़, खोपड़ी, श्रोणि, और पसलियां.
- मल्टीपल मायलोमा, मुख्य रूप से 65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है.
मल्टीपल मायलोमा के कुछ लक्षण :
- बाहों और पैरों में कमज़ोरी या सुन्नपन
- थकान महसूस होना
- मतली और उल्टी
- भूख न लगना या ज़्यादा प्यास लगना
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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कैंसर से जूझ रहीं शारदा सिन्हा का कैसा है अब हाल? हॉस्पिटल से ही रिलीज किया था छठ गीत