डीएनए हिंदीः पिछले कुछ समय से हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले ज्यादातर जिम या खेल के मैदान में सुनने को मिल रहे हैं.अमेरिकी फुटबॉल स्टार डैमार हैमलिन को मैदान में सीने पर बॉल लगने से कार्डियक अरेस्ट आ गया. अचानक कार्डियक अरेस्ट आने की वजह क्या रही और क्यों एक्सरसाइज या खेलते हुए ऐसा होता है.
राजू श्रीवास्तव से लेकर दीपेश भान और सिद्धांत वीर सूर्यवंशी तक को जिम में अटैक आया और वो अपनी जान गंवा बैठे. दीपेश भान को क्रिकेट खेलते हुए अटैक आया था और अब स्टार डैमार हैमलिन जूझ रहे हैं. आखिर इसका कारण क्या है? क्या सच में सिर्फ एक्सरसाइज करने से आपको दिल का दौरा पड़ सकता है या इसके पीछे कोई और वजह है?
युवा एथलीटों में एरिथोमोजैनिक कार्डियोमायोपैथी के कारण ऐसा होता है. एरिथोमोजैनिक कार्डियोमायोपैथी एक हृदय रोग यानी दिल की बीमारी है, जो विशेष रूप से युवा एथलीटों को प्रभावित करती है और अचानक मृत्यु का कारण बन सकती है.
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साल 2007 में फुटबॉल टीम सेविला को भी आया था मैदान में कार्डियक अरेस्ट
बेसल विश्वविद्यालय ने हाल ही में अचानक होने वाली कार्डियक डेथ को समझने के लिए जो स्टडी की उसमें इसी बीमारी को पाय था. बता दें कि साल 2007 में फुटबॉल टीम सेविला एफसी के 22 वर्षीय एंटोनियो पुएर्ता कार्डियक अरेस्ट से मैदान पर गिर गए और फिर अस्पताल में उनका निधन हो गया. बाद में पता चला कि उन्हें एरिथोमोजैनिक कार्डियोमायोपैथी बीमारी थी.
अचानक बॉल लगने से आया कार्डियक अरेस्ट
अचानक बॉल लगने से उनके हार्ट ने काम करना बंद कर दिया था. बअचानक चोट या धक्का लगने पर भी कार्डिएक अरेस्ट आ जाता है. फुटबॉल स्टार डैमार हैमलिन के साथ भी ऐसा ही हुआ था. हालांकि तुरंत ट्रीटमेंट मिलने से उनकी जान बच गई.
पुरुष होते हैं अधिक प्रभावित
वैज्ञानिकों के अनुसार यह बीमारी अनुवांशिक है और इसमें महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं. बेसल विश्वविद्यालय के बायोमेडिसिन विभाग में सेल आसंजन समूह के एनाटोमिस्ट और प्रमुख वोल्कर स्पिंडलर के मुताबिक इस बीमारी के कारण कार्डियक मसल्स के सेल्स को नुकसान होता है, कनेक्टिंग टिश्यू जमा होने लगते हैं और कार्डियक मसल्स के बीच में फैट जमने लगता है. और इसके कारण एक्सरसाइज के दौरान अचानक कार्डियक मौत हो सकती है. जीन म्यूटेशन एक बड़ा कारण वैज्ञानिकों की माने तो यह बीमारी अब सिर्फ हेरेडिटी नहीं बल्कि जीन म्यूटेशन के कारण भी हो सकती है. चिंता की बात यह है कि अगर बीमारी शुरुआत में ही पता चल जाए तब भी इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है लेकिन आप अपने लक्षणों को काबू में कर सकते हैं.
बायोमेडिसिन विभाग में मायोकार्डियल रिसर्च ग्रुप के प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट गैब्रिएला कस्टर के मुताबिक, इस बीमारी के मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी प्रतिस्पर्धी खेल से बचें और बीटा-ब्लॉकर्स जैसी दवाएं लें. साथ ही, जहां उपयुक्त हो वहां कैथेटर एब्लेशन किया जा सकता है या एक इम्प्लांटेबल डिफिब्रिलेटर का उपयोग किया जा सकता है. हालांकि, कभी-कभी हार्ट ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प होता है.
कमजोर हो जाती हैं कार्डियक मसल्स की सेल्स
वैज्ञानिकों की स्टडी का मुख्य कारण था कि कई बार म्यूटेशन उन स्ट्रक्चर को प्रभावित करते हैं जिन्हें डेस्मोसोम (Desmosomes) के रूप में जाना जाता है. ये दिल की मसल्स की सेल्स की सतह पर प्रोटीन क्लस्टर होते हैं जिनके कारण सेल्स एक-दूसरे से मजबूती से जुड़ी होती हैं. लेकिन म्यूटेशन के कारण यह जुड़ाव कम हो जाता है और इससे दिल की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. इस परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए, स्पिंडलर की टीम ने चूहों के जीनोम में उन्हीं म्यूटेशन को शुरू किया जो कि इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों में होती हैं. इन जानवरों के कार्डियक फ़ंक्शन की जांच की गई और रिजल्ट में पाया कि इन जेनेटीकली मॉडिफाइड जानवरों में भी एरिथोमोजैनिक कार्डियोमायोपैथी जैसी दिल की बीमारी दिखी.
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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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